ईधन की बढ़ती कीमतें! बर्दाश्त से बाहर..


गुरुवार से पेट्रोल की कीमत में 1.23 रुपये प्रति लीटर तथा डीजल की कीमत में 89 पैसा प्रति लीटर का इजाफा हो गया. पिछली बार पेट्रोल की कीमत में 1 पैसा प्रति लीटर और डीजल की कीमत में 44 पैसा प्रति लीटर की वृद्धि हुई थी. इससे पहले 16 अप्रैल को पेट्रोल के दाम में 1.39 रुपये प्रति लीटर और डीजल के दाम में 1.04 रुपये प्रति लीटर की वृद्धि हुई थी. इस समय आम आदमी की एक बड़ी परेशानी यही है. दाम लगातार बढ़ रहे हैं.इसके बावजूद कि अमरीका और अरब देशों से क्रूड आइल के मामले में समझौते हुए हैं.इस बीच धर्मेन्द्र प्रधान का यह बयान की टैक्स में कोई कमी नहीं होगी लोगो के गुस्से को और बढ़ा रहा है.  जुलाई से अब तक पेट्रोल के मूल्योंं में 6 रुपये की बढौत्तरी हो चुकी है  इस समय पेट्रोल की दर तीन साल के अपने उच्च स्तर पर है. पेट्रोल कीमतों में प्रतिदिन मामूली संशोधन होता है. जो बढ़कर आज उच्च स्तर पर पहुंच रहा है. सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलियम कंपनियों के आंकड़ों के अनुसार जुलाई की शुरुआत से डीजल की कीमतों में 3.67 रुपये लीटर की बढ़ोतरी हुई है. इस समय डीजल  अपने चार महीने के उच्च स्तर पर है. 16 जून के बाद से सिर्फ चार दिन छोड़कर प्रतिदिन पेट्रोल की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है. इन चार मौकों पर पेट्रोल का दाम 2 से 9 पैसे लीटर घटा था. पेट्रोल की कीमतों पर केंद्र और राज्य सरकारेें मिलकर 43 रुपए टैक्स वसूलती हैं. इसके बाद कंपनियां और अन्य सब मिलकर जो गणित बनता है उसके अनुसार पेट्रोल-डीजल आम आदमी के लिये मुसीबत बन जाता है. कच्चे तेल की कीमत और डॉलर-रुपया विनिमय दर को देखें तो ऑयल कंपनियां रिफाइनरियों से 26.22 रुपए प्रति लीटर में तेल खरीदती हैं.इसके बाद 3.49 रुपए प्रति लीटर के हिसाब से केंद्र सरकार एक्साइज ड्यूटी और वैट वसूलती है. पेट्रोल कीमतें बढ़कर 29.71 रुपए हो जाती है.फिर पेट्रोल पर 21.48 रुपए प्रति लीटर के हिसाब से अतिरिक्त एक्साइज ड्यूटी वसूली जाती है. टैक्स के साथ पेट्रोल की कीमत बढ़कर 51.19 रुपए हो जाती है.इसके बाद 3.23 रुपए प्रति लीटर डीलर का कमीशन होता है. कमीशन के बाद पेट्रोल का दाम बढ़कर 54.42 रुपए प्रति लीटर हो जाता है.देश के अलग अलग हिस्सों में वेट की दर अलग है. कहीं तो 27 फीसदी की दर से वैट लगाया जाता है जो कि 14.69 रुपए प्रति लीटर बनता है. इस हिसाब से अगर देखा जाये तो देश की राजधानी  दिल्ली में एक लीटर पेट्रोल की कीमत बढ़कर 69.12 रुपए प्रति लीटर हो जाती है. केंद्र और राज्य सरकार मिलकर पेट्रोल पर 163 फीसदी टैक्स वसूलती हैं.आज की स्थिति का आंकलन किया जाये तो पेट्रोल तीन साल में सबसे महंगा हुआ है. हाल के दो महीनों में पेट्रोल, की कीमत 6 रुपए बढ़ी जबकि डीजल के दाम 3.69 रुपए प्रति लीटर बढ़ चुके हैं. पेट्रोल की बढ़ती कीमतों से यूं तो ग्राहकों को फायदा होने का दावा किया गया था, लेकिन ऐसा लग नहीं रहा है कि इससे ग्राहकों को कोई फायदा हो रहा है. बीते 59 दिनों के दौरान प्रतिदिन बढ़ती-घटती कीमतों के नए नियम से पेट्रोल की कीमत एक बार फिर 2014 के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है. पेट्रोल और डीजल की कीमतें ग्लोबल बाजारों में पेट्रोल के रेट्स, क्रूड और डॉलर-रुपए की चाल पर निर्भर करते हैं.  ऑयल मार्केटिंग कंपनियों ने 16 जून से 15 साल पुरानी व्यवस्था को छोड़ रोजाना कीमतों की समीक्षा व्यवस्था लागू की है. ऑयल मार्केटिंग कंपनियां तीन आधार पर पेट्रोल और डीजल के रेट्स तय करती हैं. पहला इंटरनेशनल मार्केट में क्रूड (कच्चे तेल का भाव). दूसरा देश में इंपोर्ट (आयात) करते वक्त भारतीय रुपए की डॉलर के मुकाबले कीमत. इसके अलावा तीसरा आधार इंटरनेशनल मार्केट में पेट्रोल-डीजल के क्या भाव हैं.इंटरनेशनल मार्केट में अगर क्रूड की कीमतों पर नजर डालें तो जुलाई में अभी तक ब्रेंड क्रूड के दाम 5 फीसदी बढ़ चुके हैं. वहीं, इस दौरान एक अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया 71 पैसे मजबूत हुआ है.सरकारी ऑयल मार्केटिंग कंपनियां पहले महीने की 15 और 30 तारीख को पेट्रोल-डीजल की कीमतों की समीक्षा किया करती थीं, लेकिन कंपनियों ने 15 साल पुरानी इस पुरानी व्यवस्था को छोड़ रोजाना समीक्षा को अपनाया ताकि ईंधन की लागत में होने वाले अंतर का तत्काल पता लगाया जा सके.अब जनता सिर्फ मूक दर्शक बनकर कंपनियों व राज्य सरकारो के खेल को बेबस और मजबूर होकर देख रही हैं. उसे रोज अपनी जेब इस व्यवस्था के आधार पर ढीली करनी पड़ रही है.

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