नोट बंदी- ससंद बदी के बाद अब बजट व उत्तर प्रदेश में दाव पेच!

नोट बंदी- ससंद बदी के बाद अब बजट व उत्तर प्रदेश में दाव पेच!
नोटबंदी से अब सब उकता गये हैं,कुछ नया हो जाये,हां बजट की बात की जाये तो इस बार सबका इंतजार उसी पर रहेगा.नोटबंदी-संसद बंदी के बाद जो नया होने वाला है उसमे यूपी का चुनाव और बजट ही है. ऐसी खबरें मिल रही है कि इस बार संभवत: एक फरवरी को पेश होने वाले बजट में सरकार बहुत कुछ करना चाहेगी जिससे नोटबंदी से नाराज जनता खुश भी हो जाये और उत्तर प्रदेश का सिंहासन भी सपा से छीन ले. सरकार इंकम टैक्स में छूट दे सकती है. चार लाख रूपये तक की आमदनी टैकस फ्री हो सकती है.टैक्स स्लेब में भी बदलाव की आशा की जा सकती है.उत्तर प्रदेश की तरफ नजर दौड़ायें तो वहां प्रधानमंत्री पहुुंच गये हैं तो राहुल गांधी भी पूरी तरह सक्रिय हैं. नोटबंदी को तो उन्होंने मुद्दा ही बना लिया. वास्तविकता यही है कि पूरा देश इस समय नोट बंदी और संसद बंदी के चक्कर में है. हो सकता है फरवरीं में यूपी विधानसभा के चुनाव हो जायें, यहां भारतीय जनता पार्टी राज्य में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी, के साथ बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस समान दावेदारी के साथ सक्रिय है. सपा-कांग्रेस के बीच    गठबंधन की अटकले भी  है. दो साल पहले राज्य में भाजपा को काफी फायदा मिलता दिखा था, जहां इसने 2014 के संसदीय चुनाव में भारी जीत हासिल की थी परन्तु अब हालात बदल चुके है,नोटबंदी अकेला इसका कारण नहीं है. फरवरी में अगर विधानसभा चुनाव होते हैं, तो इसकी घोषणा जनवरी की शुरुआत में कभी भी हो सकती है, इसके तुरंत बाद  आचार संहिता लागू हो जाएगी, जो केंद्र या राज्य सरकार को कोई भी लोक-लुभावन कदम उठाने से रोक देगी.भाजपा को छोड़ अन्य पार्टियों के लिये जनवरी की शुरूआत में चुनाव की घोषणा फायदेमंद नहीं होगी चूंकि आचार संहिता में केंद्रीय बजट जारी करने पर लागू होने की संभावना नहीं है इसका फायदा केन्द्रीय बजट में भाजपा की उत्तर प्रदेश की जनता को लुभाने वाली घोषणाएं हो सकती है. भाजपा के भीतर इस बात को लेकर कशमकश है कि नोटबंदी पार्टी को नुकसान पहुंचा रही है.आरएसएस और भाजपा की स्थानीय  इकाइयां पहले ही केन्द्र को इससे अवगत भी करा चुकी हैं. इस हालात में भाजपा के पास विकल्प यूपी फतह का श्ुारूआती तौर पर मौका तो केन्द्रीय बजट ही दिखता है.प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की व्यक्तिगत छबि भी कुछ खेल यूपी में खेल सकती है. शीतकालीन सत्र पूरी तरह कामविहीन चले जाने व जीएसटी सेवा कर को लागू करने की समय-सीमा टलने के खतरे को देखते हुए भी सरकार जनवरी के दूसरे सप्ताह से संसद का बजट सत्र बुला सकती है. इस बार आम व रेल बजट दोनो  एक साथ  पेश किया जाएगा. नोटबंदी को लेकर अब कुछ नकारात्मक स्वर उठने लगे हैं जबकि ज्यादातर लोग  मुश्किलों को झेलने की मानसिकता मे आ गये  हैं, क्योंकि वे इसे  प्रधानमंत्री द्वारा नेक नीयती के साथ उठाया गया कदम मानते हैं मगर इस नोटबंदी के कारण कुछ खामोश जिंदगियां भी है जो इससे अपने आपको बुरी तरह प्रभावित मानती हैं ऐसे लोग क्या असर डालेंगे कोई इसका अनुमान नहीं लगा सकता.चूंकि देश में  मौन चुनाव हमेशा नया ही कुछ करता रहा है.कारोबारियों का समूह जो पहले एक मतेन था अब उसमें भी बिखराव आ गया है. पेट की मार को बर्दाश्त करने  के लिये कोई तैयार नहीं. ऐसे में यूपी में किस्मत आजमाने अन्य दलों के साथ जुटी केन्द्र की सत्तारूढ पार्टी को उत्तर प्रदेश का चुनाव मुलायम परिवार या मायावती की पार्टी के सामने चूनौतियों का एक पहाड़ है. ऐसे में कारोबारियों को खुश करने के लिये केन्द्र सरकार जीएसटी को सर्वसम्मति से अंतिम रूप देने के लिए जनवरी में अपनी हरसंभव कोशिश करेगी. उत्तर प्रदेश का चुनाव वास्तव में  देश के अन्य राज्यों के लोगों के लिये भी फायदेमंद साबित हो सकता है चूंकि सराकर नोट बंदी से आहत लोगों को खुश करने के लिये टैक्स में कटौती की  घोषणा बजट में कर सकती है. कांग्रेस विशेषकर राहुल गांधी का सारा फोकस किसानों पर है ऐसे में केन्द्र सरकार बजट में कृषि क्षेत्र के लिए पैकेज की घोषणा कर सकती है. रेल बजट को इस बार केंद्रीय बजट में ही शामिल किया जा रहा है, लिहाजा इसमें स्वाभाविक तौर पर इन्फ्रास्ट्रक्चर पर बड़ा जोर दिया जा सकता है.



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