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नोट बंदी- ससंद बदी के बाद अब बजट व उत्तर प्रदेश में दाव पेच!

नोट बंदी- ससंद बदी के बाद अब बजट व उत्तर प्रदेश में दाव पेच! नोटबंदी से अब सब उकता गये हैं,कुछ नया हो जाये,हां बजट की बात की जाये तो इस बार सबका इंतजार उसी पर रहेगा.नोटबंदी-संसद बंदी के बाद जो नया होने वाला है उसमे यूपी का चुनाव और बजट ही है. ऐसी खबरें मिल रही है कि इस बार संभवत: एक फरवरी को पेश होने वाले बजट में सरकार बहुत कुछ करना चाहेगी जिससे नोटबंदी से नाराज जनता खुश भी हो जाये और उत्तर प्रदेश का सिंहासन भी सपा से छीन ले. सरकार इंकम टैक्स में छूट दे सकती है. चार लाख रूपये तक की आमदनी टैकस फ्री हो सकती है.टैक्स स्लेब में भी बदलाव की आशा की जा सकती है.उत्तर प्रदेश की तरफ नजर दौड़ायें तो वहां प्रधानमंत्री पहुुंच गये हैं तो राहुल गांधी भी पूरी तरह सक्रिय हैं. नोटबंदी को तो उन्होंने मुद्दा ही बना लिया. वास्तविकता यही है कि पूरा देश इस समय नोट बंदी और संसद बंदी के चक्कर में है. हो सकता है फरवरीं में यूपी विधानसभा के चुनाव हो जायें, यहां भारतीय जनता पार्टी राज्य में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी, के साथ बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस समान दावेदारी के साथ सक्रिय है. सपा-कांग्रेस के बीच    गठब

कानून बदला किन्तु लोग नहीं बदले!

इंटरनेट पर पोर्न साइट देखते हैदराबाद के पैसठ बच्चो को पकड़कर पुलिस ने उनके पालकों के सिपुर्द किया. यह उस दिन से एक दिन पहले की बात है जब दिल्ली के निर्भया कांड ने चार साल पूरे किये.इसी   दिन चार वर्ष पूर्व निर्भया बलात्कार और निर्मम हत्याकांड ने पूरे विश्व को हिलाकर रख दिया था ,इसी बर्सी के दिन दिल्ली में नोएड़ा से साक्षात्कार के लिये पहुंची एक बीस साल की लड़की को लिफट देने के बहाने कार में चढाया और उसके साथ रेप किया. कार में ग्रह मंत्रालय की स्लिप लगी थी. इसी दिन अर्थात निर्भया रेप कांड के चार साल होने के दिन ही झारखंड की राजधानी रांची में इंजीनियरिंग कालेज की उन्नीस वर्षीय छात्रा के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया तथा उसकी गला घोटकर हत्या कर दी गई तथा उसके शव को जलाने का प्रयास किया गया. निर्भया के बाद कानून में बहुत कुछ बदला होगा लेकिन समाज कतई नहीं बदला ,राजधानी दिल्ली में हर रोज छह बलात्कार और देश के विभिन्न राज्यों में पता नहीं कितने? इन मामलों को रोकने की व्यवस्था बनाने के लिए दायर कई पीआईएल पर चार साल बाद भी सुप्रीम कोर्ट को फाइनल सुनवाई का अवसर नहीं मिला. अभी कुछ माह पूर्व ही

संसद सेशन शोरगुल-हंगामे में बाईस दिन यूं ही बीत गया

मोदी सरकार के ढाई साल के कार्यकाल में पार्लियामेंट के आठ सेशन हुए हैं. इस बार विंटर सेशन बाईस दिन चला लेकिन प्रोडक्टिवीटी सबसे कम रही. यह अंदेशा तो उसी समय से था जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आठ अक्टूबर को नोटबंदी का ऐलान किया. सब कुछ शायद ठीक चलता यदि सरकार नोटबंदी से पूर्व तैयारी करके चलती. इस निर्णय को लेने के पूर्व सरकार ने शायद यह सोचा भी नहीं कि इसके रिफरकेशन उसके लिये मुसीबतें खड़ी कर देंगी. एटीएम व बैंक तक नये नोट नहीं पहुंचने से लगी लम्बी लाइन और उसमें खड़े होने वाले लोगों की मौत के सिलसिले ने विपक्ष को इतना मौका दिया कि संसद चलने ही नही दी इस बीच और भी ऐसे मामले हो गये जो विपक्ष को एक के बाद एक आक्रामक बनाने में मददगार बनते चले गये. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नोटबंदी  की घोषणा के बाद विदेश चले गये आौर इधर अपना पैसा वापस निकालने के लिये लोग लाइन में लगकर जूझते रहे वहीं कालाधन जमा करने वालों ने एक तरह से बैंकों पर कब्जा जमा लिया. बैंक के कतिपय अधिकारियों व कर्मचारियेां ने मिलकर ऐसी स्थिति निर्मित कर दी जिससे मार्केट में त्राही त्राही मच गई और सड़क पर लाइन में लोग धक्के खा

एक महीना लाइन में कैसे बीत गया,पता ही नही चला...?

एक महीना लाइन में कैसे बीत गया,पता ही नही चला...? हां यह ठीक है कि नोट बंदी के बाद का एक महीना लाइन में लगते -लगते कैसे गुजर गया पता ही नहीं चला. आज एक महीना बीत चुका है. नवंबर महीने की इसी आठ तारीख को केंद्र सरकार ने  पांच सौ  और हजार रूपये के नोटों का चलन बंद कर देश के हर वर्ग को चौका दिया था. नोटों का चलन  बंद होने से आम और खास सभी किस्म के लोग इसकी चपेट में आ गये. उस समय से बैंको के कामकाज में जहां अंतर आया, एटीएम के सामने अभूतपूर्व भीड़ दिखाई दी वहीं कई एटीएम जहां इस निर्णय के बाद से अब तक खुले नहीं है तो कई में कभी पैसा आता है तो खुलता है और कभी नहीं तो बंद रहता है. नोटबंदी के बाद से विपक्ष संसद को चलने नहीं दे रहा.करीब चौरासी  लोगों की मौत का हिसाब मांगा जा रहा है तो  कारोबार बुरी तरह प्रभावित है.कई निजी संस्थानों में कर्मचारियों को महीना बीत जाने  के बाद भी  सेलरी नहीं मिली है.यह सही है कि नोटबंदी ने देश को कैशलेस लेनदेन की ओर एक कदम आगे बढ़ा दिया.एक महीना बीतने के बाद हर कोई इस पूरे एपीसोड़ को तराजू पर तौलता दिखाई दे रहा है..नोटबंदी की घोषणा के बाद देश की 86 प्रतिशत नगदी रात

...और आडवाणी से भी रहा नहीं गया!

...और आडवाणी से भी रहा नहीं गया! अब तक ससंद की कार्रवाही को शांतिपूर्वक देख सुन रहे भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी से बुधवार को रहा नहीं गया. उन्होनें लोकसभा के अफसर से पूछ ही लिया कि बैठक कब तक के लिये स्थगित की गई है? उन्हें बताया कि दो बजे तक तो गुस्से में कह ही दिया कि अनिश्चितकाल के लिये क्यों नहीं? तीन हफ्ते बीत गए ससंद के शीतकालीन सत्र के किन्तु अब तक कार्यवाही सामान्य नहीं हो पाई है   नोटबंदी के मसले पर उठा विवाद गुरूवार को  शांत होने की संभावना बन गई थी लेकिन विपक्षी दलों के धरने और आरबीआई की नोटबंदी पर आई रिपोर्टो ने सरकार की मुसीबते और बढ़ा दी.  विपक्ष इस बात पर अड़ा हुआ है कि प्रधानमंत्री सदन में इस मसले पर जवाब दें, दूसरी ओर सत्ता पक्ष चर्चा पर जोर दे रहा है देश की स्थिति और उसमें संसद की भूमिका को समझने वाला कोई भी व्यक्ति इस स्थिति पर चिंतित हो सकता है. भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी के क्षोभ को समझा जा सकता है उन्होंने सदन न चल पाने के लिए न केवल संसदीय कार्य मंत्री को जिम्मेदार ठहराया, बल्कि लोकसभा अध्यक्ष पर भी अंगुली उठाई. निश्चित रूप से यह पिछले कई द

डिजिटल तो हम हो गये लेकिन चुनौतियां भी तो कम नहीं!

डिजिटल तो हम हो गये लेकिन चुनौतियां भी तो कम नहीं! अगस्त 2014 में नरेन्द्र मोदी मंत्रिमंडल ने डिजिटल इंडिया का फैसला कर लिया था, करीब एक साल की गहन तैयारी के बाद जुलाई 2015 में इसे धूमधाम के साथ लांच किया गया. देश में आज भी नेटवर्क इतना स्लो है कि हमारा स्थान दुनिया में 115 वां हैं ऐसी परिस्थिति में यह हमारी पहली चुनौती है कि हम अपने इंटरनेट नेटवर्क को इतना फास्ट करें कि डिजिटल इंडिया का सपना साकार हो. जाहिर है सरकार एक दिन में इस लक्ष्य को हासिल नहीं कर सकती मगर सरकार डिजिटल इंडिया के लिये कटिबंद्व है.देश में नब्बे करोड़ से ज्यादा लोगों के पास फोन हैं जिसमें से मात्र 14 करोड़ लोगों के पास ही स्मार्ट फोन है. स्मार्ट फोन और गैर स्मार्ट फोन को लेकर भी अमीर- गरीब की तरह बांटकर देखा जा सकता हैं,जिनके पास स्मार्ट फोन हैं उनमें से बहुत से लोग साधारण हैं जिसके आधार पर उम्मीद की जा सकती हैं कि उन लोगों को इंटरनेट मिलने भर की देर है.भले ही नोटबंदी के बाद देश के सारे एटीएम के बाहर लम्बी -लम्बी कतारे लगी है लोग पैसा जल्दी  लेने के लिये लड़ रहे कट रहे हैं और कुचलर भी मर रहे हैंं ओर तो ओर पैसा न