जरूरी वस्तुओं के दामों में इजाफा, दाल फिर रूलाने की तैयारी में!



जरूरी वस्तुओं के दामों में इजाफा, दाल फिर रूलाने की तैयारी में!

आवश्यक वस्तुओं के भावों में हो रही बेतहाशा वृद्वि सभी वर्ग के लिये चिंता का विषय बन गया है. गरीब ेसे लेकर उच्च वर्ग तक सभी के लिये यह परेशानी की बात है कि वस्तु जिसमें रोजमर्रा उपयोग मे आनी वाली वस्तुएं भी शामिल हैं के भावों में दिन प्रतिदिन बढौत्तरी हो रही है. इसमें सबसे ज्यादा चिंता का विषय तो उन पैकेज वाली वस्तुओं के दाम है जिनके भावों में पिछले दो तीन माह के दौरान लगभग लगभग दो गुनी वृद्वि कर दी गई है. कंपनियों द्वारा उत्पादित वस्तुओं के दामों पर किसी प्रकार का कोई नियंत्रण कहीं से भी नहीं है. उपभोक्ता इन वस्तुओं को जैसे साबुन, तेल, ब्लेड आदि को कंपनियों द्वारा निर्धारित मनमानी कीमतों पर खरीदना मजबूरी हो गई है. किराना व थोक दुकानदार स्वंय यह बता रहे हैं कि कीमतों में अचानक वृद्वि हुई है गर्मी के  दौरान इस बार वस्तुओं में जिस प्रकार बढौत्तरी की गई है वह एक रिकार्ड है. बच्चों को उपयोग में आने वाले हर फूड आइटम के भावों में अनाप शनाप वृद्वि कर दी गई है. अब इस बात की सूचना मार्केट में पहुंच गई हैै कि दालों के भाव में बेतहाशा वृद्वि होने वाली है-इस खबर के वायरल होने के बाद जमाखोर सक्रिय हो गये हैं और दाल को दो सौ रूपये तक में बेचने की तैयारी कर ली है. उड़द दाल की खुदरा कीमत के बारे में कहा यह जा रहा है कि यह दो सौ पचास रूपये प्रतिकिलों तक पहुंच जायेगा. वित्त मंत्री  अरूण जेठली ने  अपने 2016-17 के बजट में इडली -दोसा सस्ता किया था लेकिन जब उडद दाल की कीमत ढाई सौ रूपये तक पहुंच जायेगी तो यह स्वाभाविक है कि आम आदमी के खाने वाली इस वस्तु की कीमत भी बढ़ा दी जायेगी फिर इस बजट का लाभ किसे मिलने वाला? दाल व्यापारी कह रहे हैं कि स्टॉक करके रखने पर जेल भेजे जाने के डर से व्यापारियों के पास दाल का स्टॉक नहीं है. पिछले साल दालों की कीमत 200 रुपये प्रति किलोग्राम से अधिक हो गई थी, इस बार भी दाल इसी या इससे ज्यादा की कीमत में बिक सकती है. अभी हाल यह है कि दाल के भाव में तेजी से बढ़ौतरी दर्ज की जा रही है, कारोबारियों के पास दाल का स्टॉक नहीं होने की वजह से दाल के दाम में अभी 20-25 फीसदी और तेजी आ सकती है. दाल के उत्पादन में भी उम्मीद के मुताबिक बढ़ोतरी नहीं हुई है वहीं स्टॉक रखने पर भारी जुर्माने व जेल जाने के डर से दाल आयातकों ने दाल का आयात भी पिछले साल के मुकाबले कम किया है.यहां यह बता दे कि देश में लगभग 185 लाख टन दाल का उत्पादन होता है जबकि घरेलू खपत 220 लाख टन के आसपास है. हर साल भारत को लगभग 35-37 लाख टन दाल का आयात करना पड़ता है. दाल के थोक कारोबारी बता रहे हैं कि दालों में तेजी का रुख बना हुआ है. अरहर दाल का थोक भाव अभी 145-150 रुपये प्रति किलोग्राम तक चल रहा है वहीं उड़द दाल के थोक दाम 175 रुपये प्रति किलोग्राम, मसूर दाल के थोक दाम 80 रुपये प्रति किलोग्राम तो चना दाल के थोक भाव 57 रुपये प्रति किलोग्राम के स्तर पर पहुंच गए हैं.चना दाल का यह रिकार्ड भाव है. पिछले साल दाल की कीमत 200 रुपये प्रति किलोग्राम से अधिक होने के बाद सरकार ने आयातकों के यहां भी छापेमारी की कार्रवाई की इसलिए इस बार वे डर से सीमित मात्रा में दाल का आयात कर रहे हैं. मार्च महीने में चने की नई फसल आती है और इस दौरान चने की दाल में नरमी का रुख होता है, लेकिन अभी चने की दाल की थोक कीमत 57 रुपये प्रति किलोग्राम तक है, पिछले साल सरकार ने दाल का बफर स्टॉक बनाने की बात की थी ताकि कीमत पर नियंत्रण रखा जा सके, लेकिन सरकार के बफर स्टॉक से अब तक दाल की आपूर्ति नहीं हुई है. दाल जहां रूलाने वाली है वहीं रोजमर्रा की अन्य वस्तुओं के दाम भी सारी हदों को पार कर रहे हैं. सरकार का नियंत्रण खाद्य पदार्थो तक ही न होकर हर उपभोक्ता वस्तुओं तक होना चाहिये.  मार्केट की स्थिति का आकलन एसी  के बंद कमरों में सिमटकर रह जाता है.यही वजह है कि पैक्ड आइटम कै भावों में मनमानी वृद्वि की जा रही है. उपभोक्ता जिसके पास पैसा है वह हर  वस्तु किसी भी स्थिति में खरीद सकता है लेकिन एक कम आय वाला कैसे इस मंहगाई से निपटे? 

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