छत्तीसगढ़ में कमीशनखोरी,भ्रष्टाचार पर रोक की एक पहल...



छत्तीसगढ़ में कमीशनखोरी,भ्रष्टाचार पर रोक की एक पहल...
 ऐसा लगता है कि सरकार को यह बात अब समझ आने लगी है कि उसके अफसर और कर्मचारी क्यों मालामाल  होते जा रहे हैंं। कम से कम हाल ही जारी एक आदेश से तो यही लगता है कि विभाग को वह सिरा मिल गया है जहां से भ्रष्टाचार की शुरूआत होती है-वास्तविकता यही है कि भ्रष्टाचार के कई कारणों में से एक यह भी है कि विभागों के लिये निर्माण हेतु वस्तुओं व उपकरणों की बाजार से खरीदी होती है उसकी खरीदी आउट वे जाकर बाजार से हाती है जबकि  अधिकाशं  वस्तुएं सरकार के केन्द्रीय भंडारगृह में मौजूद रहती है जो सरकार स्वंय गुणवत्ता व का  वाजिब दाम के आधार पर सीधे  कंपनी से खरीदती है इसके बावजूद विभाग के लोग इसकी खरीदी ठेकेदारों के  मार्फत या  स्वंय होकर बाजार से करते हैं इससे अधिकारियों-ठेकेदारों की तो जेब भर जाती है लेकिन सरकार के खजाने और जनता की जेब पर डाका पड़ता है.नये आदेश के अनुसार अब प्रदेश में कम से कम नगरी निकायों के लोग तो बाजार से सामान नहीं खरीद सकेंगे उन्हें केन्द्रीय भंडारण की शरण में जाना पड़ेगा-राज्य सरकार इस पहल से प्रदेश के नगरीय निकायों में भ्रष्टाचार पर कितना अंकुश लगा सकेगा यह तो अभी नहीं कहा जा सकता लेकिन नगरीय प्रशासन के उस आदेश से संभावना बलवती हुई है कि ऐसा करके भ्रष्टाचार पर अंकुश की एक सीढ़ी तो पार ही कर लेगा.नये आदेश में कहा गया है कि विभाग में सप्लाई होने वाली समस्त सामग्री व उपकरण केन्द्रीय भंडारण से ही खरीदे जाये। बिजली की बचत करने के उद्देश्य से नगरीय निकायों के लिए एलईडी के तमाम् तरह के प्रोडक्ट की सप्लाई की जा रही है। इसमें एलईडी के छोटे बल्ब से लेकर हाईमास्क एलईडी बल्ब की भी सप्लाई की जा रही है, जो मार्केट के दर से कम और गुणवत्तायुक्त हैं। अब नगरीय निकाय के बिजली विभागों में केन्द्रीय भण्डार से ही उक्त लाइट की खरीदी होगी।.सरकारी आदेशानुसार निकायों को सरकार द्वारा अपने गोदाम मे भरकर रखे गये उन  वस्तुओं की खरीदी करनी होगी जो अब तक बाजार से खरीदी जाती रही है  सरकार के केन्द्रीय भण्डार की सूची में सीमेंट, छड़, डामर, पेंट, सफाई सामग्री सहित करीब दो सौ समान है। सूची में सामान की गुणवत्ता/क्वालिटी, दर एवं संख्या निर्धारित कर दी गई है। इससे अब हम समझ सकते हैं कि विभागीय अफसर व ठेकेदारों को उसी दर पर ही सामग्री की खरीदनी करनी पड़ेगी जो दर सरकार द्वारा तय है। विभागीय अधिकारी व कर्मचारी मनमानी पूर्वक कहीं से  भी  बिना क्वालिटी या सही दाम का पता लगाये बगेैर लीपापोती करने के लिये सामान खरीद कर लाते रहे हैं। फिलहाल यह आदेश नगरी निकाय के लिये दिखता है किन्तु सरकार को चाहिये कि वह अपने सभी विभागो में वस्तुओं की खरीदी के मामले में इसी नियम की शुरूआत करें ताकि भ्रष्टाचार पर जमीनी तौर पर अंकुश लग सके।



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