सरकारी कामगारों ने तो मंहगाई की बेतरनी पार कर ली लेकिन आम आदमी! वह तो...





सरकारी कर्मचारियों को बधाई! शुभकामना की उनका वेतन नये वर्ष से तीन गुना हो जायेगा-बढ़ती मंहगाई में उनको यह बहुत बड़ी राहत है. एक सरकारी  कर्मचारी जो अब तक सात हजार रूपये की न्यूनतम तनख्वाह पाता था वह अब अठ्ठारह हजार रूपये प्राप्त करने लगेगा.जस्टिस माथुर आयोग ने अपनी रिपोर्ट पेश कर दी और उसके अनुसार अब सरकार को निर्णय लेना है-यह निर्णय सरकार के अनुसार उनके द्वारा स्टडी करने के बाद जनवरी से लागू होगा परन्तु इस बढ़ौत्तरी से बहुत से सवाल उठ खड़े हुए हैं कि सरकारी कर्मचारियों की नैया तो इस मंहगांई की धारा में पार हो जायेगी मगर शेष आम आदमी जो निजी, सार्वजनिक व रोज कमाकर खाता है उसके जीवन का क्या होगा?अभी से भारी टैक्स में फटे हाल जी रहे लोगों की जिंदगी पर अब सरकार अपने कर्मचारियों को खुश करने के लिये ऐसा तीर चलायेगी कि वे उठ नहीं सकेंगे मसलन सरकार कर्मचारियों को बढ़ा हुआ वेतन देने के लिये पैसा एकत्रित करने सकल कर्म करेगी- याने कर्ज लेगी, टैक्स बढ़ायेगी?अकेले रेलवे को अपने कर्मचारियों को अठ्ठाईस हजार करोड़ रूपये देना होगा. पहले से यात्रियों पर बोझ डालती आ रही रेलवे इसके लिये फर किराया,माल भाड़ा बढ़ायेगी. यह भी हो सकता है कि रेलवे निजीकरण की दिशा में आगे बढ़े. हम मानते हैं कि सरकार अपने खर्च को कम करें तो भी समस्या का बहुत हद तक हल हो सकता है लेकिन नहीं होगा.सरकार और उसके लोग अपनी सुविधाएं कभी कम नहीं करेंगे, ऊ पर से सरकार में बैठे लोग अपने वेतन में और बढ़ौत्तरी की मांग
करेंगे तथा इसे मान भी लिया जायेगा अर्थात मंहगाई से आम आदमी का पेट और पीठ दोनों एक हो जायेेगी.हकीकत यही है कि सरकारी कर्मचारियों के लिये 1.02करोड़ रूपये जुटाने के लिये खूब पापड़ बेलने पड़ेंगे लेकिन इसमें सबसे अहम बात यह भी है कि सरकार अपने कर्मचारियों को देने वाला बहुत बड़ा हिस्सा वापस अपने खजाने में एकत्रित भी कर लेगी जैसे अगर सरकार के अनुसार उसपर 1.02 करोड़ का बोझ बढ़ता है तो उसे 25 से 30 प्रतिशत पैसा कर्मचारियों को मिलने वाले पैसे में से टैक्स के रूप में वसूल कर लेगी दूसरा दस प्रतिशत पैसा कंपनियों के रास्ते सरकार की जेब में होगा चूकि कर्मचारी वेतन बढ़ौत्तरी के बाद कार,बाइक और कंज्यूमर ड्यूरेबिल गुड्स की तरफ बढ़ेगें- कर्मचारियों को खर्च ऐसे साधनों पर एक रूपये में से साठ पैसे के आसपास होगा. अनुमान है कि इस प्रकार बढ़े हुए वेतन का करीब पचास से साठ हजार करोड़ रूपये ओपन मार्केट में पहुंच जायेगा.कर्मचारियों के लिये गठित आयोगो में यह सातवां वेतन आयोग है जिसने अपनी रिपोर्ट सौंपी है. अब तक की सारी सिफारिशों को सरकार लागू कर चुकी है तथा सरकारी कर्मचारी इसका फायदा भी उठा रहे हैं. पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जो कि विख्यात अर्थशास्त्री भी हैं ने मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों की आलोचना की है वैसे भी नई सरकार जो मंहगाई को मुद्दा बनाकर सरकार में आई है वह टैक्सों में वृद्वि करने के अलावा मंहगाई कम करने की दिशा में कोई कदम नहीं उठा सकी है, ऐसे में मंहगाई के विकराल मुंह को मोदी सरकार इस बढ़ौत्तरी के बाद कैसे बंद करेगी यह एक यक्ष प्रश्न है. सरकारी कर्मचारियों ने तो नैया पार कर ली किन्तु आम आदमी क्या करेगा? वह कैसे अपने परिवार को चलायेगा? एक तरफ सरकारी कर्मचारियों को अभिजात्य वर्ग का दर्जा मिल गया वहीं इसके बाद महीने तनख्वाह व रोज मेहनत करने वालों का जीवन गरीबी और आर्थिक बोझ में जस की तस है जो रेगिस्तान में मृग तृष्ण की तरह चल रहा है कि कहीं आगे तो अच्छे दिन आयेंगे....





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