अंधेरे से उजाले तक का लम्बा सफर,'महुआ वर्षों बाद अब जाकर महका!



         

               
  एक समय था जब राजधानी रायपुर के पश्चिम क्षेत्र में रहने वालों को लोग मजाक उड़ाकर कहते थे कि यह तो गांव से आता है. बात उनकी सही थी आयुर्वेदिक कालेज से टाटीबंध तक जाने में लोगों को डर लगता था चूंकि यहां न स्ट्रीट लाइट थी और न ही कोई रात में आता-जाता था. धीरे धीरे कालोनियों का विकास हुआ. एसबीआई की कालोनी महोबाबाजार में बनी फिर हीरापुर में सर्वोदय कालोनी के नाम से प्रोफेसरों की कालोनी बनी.महोबाबाजार के आसपास पूरे क्षेत्र में धान के खेत व महुुआ के झाड़ हुआ करते थे, इन महुए की महक आज भी पुराने लोगों की नाक में है. इन्हीं महुआ वृक्षों के कारण इस क्षेत्र का नाम महुआ बाजार पड़ा और आज यह महोबाबाजार हो गया.
     सुविधाओं के अभाव में जीने वालों को ही सुविधा मिलने पर उसकी खुशी का एहसास होता है. यहां के लोगों ने वर्षों पूर्व इस क्षेत्र में सुविधाओं की मांग करते हुए प्रदर्शन व आंदोलन भी किया. वे चाहते थे कि यहां तक सिटी बसे चले, आमानाका रेलवे क्रासिंग पर ओवर ब्रिज बने, सरोना को भोपाल के हबीबगंज की तरह का स्टेशन बनाये,यहां एक पोस्ट आफिस खुले, सुरक्षा के लिये एक थाना हो लेकिन इसका कोई असर किसी पर नहीं पड़ा -हां पोस्ट आफिस खोलने और थाना बनाने की मांग जरूर बाद के वर्षों में स्वीकार की गई. सिटी बस भी टाटीबंध तक चलने लगी. पहले स्थिति इतनी बदतर थी कि यहां इक्के-दुक्के फोन थे और लोगों को डाक्टर बुलाने की बात तो छोडिय़े सरदर्द की गोली लेने के लिये भी सदर बाजार जाना पड़ता था. धरती का विकास जिस तरह हुआ, शायद यह कहानी टाटीबंध क्षेत्र में भी दोहराई गई, यहां धीरे-धीरे विकास हुआ और इसने गति पकड़ी. राज्य बनने के बाद-इस क्षेत्र में लोगों का आना-जाना भारी तादात में शुरू हुआ, कालोनियां विकसित हुई.
 पश्चिम के लोगों की एक बड़ी मांग थी कि सरोना को रायपुर के दूसरे बड़े रेलवे स्टेशन केे रूप में विकसित किया जाये यह मांग भी अब लगभग पूरी होती नजर आ रही है, इसके साथ ही अन्य मूल भूत सुविधाओं के जबर्दस्त विकास ने इस क्षेत्र के लोगों को एक नये युग में प्रवेश करा दिया. विधायक व लोकनिर्माण मंत्री राजेश मूणत के प्रयास से गुरूवार 15 अक्टूबर को शाम चार बजे मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह द्वारा उद्घाटित होने वाला रेलवे अण्डर ब्रिज उन्हीं विकास कार्यों की एक कड़ी हैं. अण्डर ब्रिज शुरू होने के बाद पूरे क्षेत्र में रेलवे लाइन से होने वाली बाधा का सदा-सदा के लिये अंत हो जायेगा- इस अण्डर ब्रिज के पास ही एक आधुनिक सब्जी मार्केट भी विकसित हो गया है जो पूरे पश्चिम क्षेत्र के बड़े हिस्से के लोगों की आवश्यकताओंं को पूरी करेगा.
वर्षों से हमारा सपना था कि रायपुर पश्चिम में स्थित साइंस कालेज के मैदान को एक बड़े अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम के रूप में विकसित किया जाये-यह न केवल विकसित हुआ बल्कि इसमें विश्व हाकी प्रतियोगिता का होना भी पूरे छत्तीसगढ़ को गौरवान्वित करेगा. सांइस कालेज मैदान में ही आडिटोरियम और आयुर्वेदिक कालेज के सामने अंतर्राष्ट्रीय स्विमिंग पुल के सामने लाईब्रेरी का निर्माण इस अंचल के लोगों की आवश्यकताओं को पूरी करेगा. राजकुमार कालेज से टाटीबंद तक की सड़क किसी समय सिंगल ऊबड़-खाबड़ और एक्सीडेन्ट रोड कहलाती थी. इस रोड ने कई लोगों का खून पिया है, जो अब गौरव पथ हो गया. टाटीबंध का एन्टरेंस किसी विदेशी राष्ट्र के चौराहे की तरह नजर आता है यहां हमारे देश का वह विमान रिटायर होने के बाद लगा है जो कभी दुश्मनों के छक्के छुड़ाने के लिये उपयोग हुआ था. इस समय रायपुर भिलाई मार्ग जो राजकुमार कालेज से टाटीबंध तक गौरव पथ का रूप ले चुका है उसे और आकर्षित बनाने का प्रयास युद्व स्तर पर चल रहा है ताकि विदेशी अथितियों के आगमन के समय यह अपनी  एक छाप उनके दिल में छोड़ जाये.रायपुर पश्चिम क्षेत्र को आज मिल रहे खास तीन उपहारों के लिये इस क्षेत्र की जनता वर्तमान सरकार की शुक्रगुजार है. जिनके संकल्प और जिद के कारण आज इस क्षेत्र के रहवासियों के जीवन को और आसान बनाया. 

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