आईएएस की एक रात कब्रिस्तान में! और एक मासूम की कोर्ट में एंट्री!



 कुछ लोगों के काम करने का तरीका अन्य से अलग होता है जो न केवल दूसरों के लिये उदाहरण पेश करता है बल्कि उसे अंगीकार करने की प्रेरणा भी देता है-अब चंडीगढ़ की एडीजे अंशु शुक्ला का ही उदाहरण ले-जिनकी कोर्ट में एक अजूबा मामला आया, जिसे उन्होंने न केवल अपनी सूझबूझ से हल किया बल्कि एक पांच साल की बच्ची, जो यौन शोषण से पीडि़त थी उसके परिवार को न्याय भी दिया.बच्ची जिसे कोर्ट में पेश किया गया न कोर्ट के बारे में उसे कुछ मालूम था और न जज को जानती,न ही उससे कठोर सवाल किये जा सकते.अंशु शुक्ला ने कोर्ट की परिधि से बाहर जाकर इस मामले में पारिवारिक नुस्खा अख्तियार किया.बच्ची से सवाल पूछने जज ने पहले बच्ची को गले लगाया, फिर गोद में बिठा लिया. इस आत्मीयता से बच्ची को लगा कोई अपना है,जज ने बातचीत शुरू की और बातों-बातों में उन सवालों के जवाब जान लिए जो अहम थे. बच्ची ने जो बताया वह वास्तव में रोंगटे खड़े कर देने वाली थी,उसने कंडक्टर अंकल की सारी पोल खोल कर रख दीं जो उससे स्कूल जाने के दौरान करता था. बच्ची ने जज के सामने खड़े आरोपी की ओर इशारा करके बता दिया कि यही वह अंकल हैं.बच्ची ने यह भी बताया कि कंडक्टर ने यह बात किसी को नहीं बताने की धमकी दी थी. अब किसी को यह बताने की जरूरत नहीं कि ऐसे जालिम इंसान को जज ने क्या सजा दी होगी? बहरहाल न्याय में देर है, अंधेर नहीं. इस न्यायाधीश ने अपनी सूझबूझ से इस मामले में जिस ढंग से सारी सच्चाई सामने लाकर रखी यह एक उदाहरण बन गया है.वर्षों पूर्व बनी राजेश खन्ना- मीना कुमारी अभिनीत फिल्म दुश्मन की याद ताजा हो गई जिसमें ड्रायवर राजेश खन्ना को उसी घर की सेवा करने
की सजा दी गई जिसका कमाऊ पुत्र ट्रक  की ठोकर से मारा गया था. न्याय के परंपरागत तरीकों की जगह अब न्याय के अलग-अलग तरीके अपनाने का संदेश भी नई परिस्थितियां दे रही है इसपर विचार किया जाना चाहिये. एक दूसरा मामला है जो एक ईमानदार आईएएस अधिकारी का है जिसने अपने दायित्व को पूरा करने व मिले सबूतों की रक्षा के लिये पूरी रात एक कब्रिस्तान में बिताई.मामला तमिलनाडु के मदुरै की है,जहां 16 हजार करोड़ का ग्रेनाइट घोटाला सामने आया है. मामले की जांच आईएएस अफसर यू सगायम को दिया गया है. बीते शनिवार को इस घोटाले से ही जुड़े एक दूसरे मामले में दफनाए गए कुछ शवों को बाहर निकालना था ताकि उनकी फॉरेंसिक जांच कराई जा सके सगायम अपनी टीम के साथ शाम को मदुरै से सटे एक गांव के उस कब्रिस्तान में पहुंचे लेकिन मदुरै पुलिस और एडमिनिस्ट्रेशन ने उस वक्त कब्रों की खुदाई न कर पाने की बात कही गई सबने रविवार सुबह से काम शुरू करने को कहा. इसके बाद मौके से लौट जाने की बजाए सगायम ने वहीं रात बिताना तय किया. दरअसल मदुरै के मेलूर का ग्रेनाइट कारोबारी पीआर पलानिस्वामी इस घोटाले में मुख्य आरोपी है. पलानिस्वामी पर आरोप है कि कारोबार को बढ़ाने के लिए उन्होंने 12 लोगों की बलि दी है. जिन्हें नदी के किनारे स्थित एक गांव में दफना दिया गया. इस मामले की जांच भी मद्रास हाईकोर्ट ने सगायम को सौंप है. सगायम परेशान थे कि कब्रिस्तान में मौजूद सबूतों के साथ छेड़छाड़ कर दी जाएगी. रात घिरने पर सगायम के लिए उन्हीं कब्रों के पास चारपाई लगवा दी गई. इस दौरान देर रात तक वे, वहां मौजूद पुलिसवालों और लोगों से बातचीत करते रहे. रविवार सुबह होने पर सर्किट हाउस गए। और कुछ ही देर में तैयार होकर फिर वहां पहुंच गए. इसके बाद खुदाई शुरू हुई और जांच टीम ने कुछ कंकाल बरामद किए.यह एक ऐसा उदाहरण है जो बहुत कम लोगों में देखने को मिलता है.इससे यह भी साबित होता है कि मामले की निष्पक्ष जांच होगी तथा पीडि़तों को न्याय मिलेगा. काश हमारे देश की सभी जांच एजेंसियां इसी जज्बे और लगन से काम करती!


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