पोर्न साइट बनाम देखने की आजादी....इच्छा मृत्यु बना मांग मनवाने का हथियार!



इच्छा मृत्य-पोर्न साइट-सियासत व न्याय के दरबार में इस समय विशेष चर्चा का विषय बने हुए हैं. एक तरफ जेल में बंद व्यापम के आरोपी इच्छा मृत्यु की मांग कर रहे हैं तो पच्चीस हजार किसानों ने भी राष्ट्रपति को पत्र लिखकर इच्छा मृत्यु की मांग की है. यह किसान सत्रह सालों से मुआवजे के लिये परेशान हंै- इनके समक्ष अब रोजी रोटी का जरिया भी खत्म हो चुका है तथा भूखे मरने की नौबत आ गई है. आम चर्चा में अगर देखें तो कोई भी इस खबर को पड़कर यह कह सकता है कि आपको मरना है तो क्यों नहीं मर जाते. मरने वाले को राष्ट्रपति से पूछने की क्या जरूरत? हर मरने वाले को राष्ट्रपति थोड़े ही इजाजत देता है, यह तो सीधे-सीधे दबाव की बात है कि हमारे लिये सरकार कुछ करें! अगर राष्ट्रपति इजाजत भी दे तो कोई इच्छा मृत्यु मांगने वाला मरता नहीं बहरहाल किसानों के प्रति हमदर्दी के साथ हम यही कहना चाहते हैं कि सरकार को इन किसानों की समस्या का निदान पूर्र्ण प्राथमिकता से कराना चाहिए.इच्छा मृत्यु की मांग प्राय: अत्यन्त गंभीर बीमारी से पीडि़त लोग करते आयें हैं लेकिन अब हर कोई न कोई समस्या लेकर इसकी मांग करने लगा है जिससे इच्छा मृत्यु की मांग ही मजाक बन गया है. दूसरा मुद्दा संविधान के अनुच्छेद 19 (1)का है जो भारत में रहने वालों को अभिव्यक्ति और देखने सुनने की  आजादी प्रदान करता है-अनुच्छेद 19 (1)का मुद्दा इसलिये उठा चूंकि सरकार के अनुसार पोर्न साइटों के कारण अपराध बढ़ रहे हैं और यह समाज में अनेक बुराइयों को जन्म दे रहे हैं. अघोषित रूप से कुछ पोर्न साइटों पर प्रतिबंध लगा तो अनेक तरफ से आवाज उठने लगी तब सरकार को बाध्य होकर कहना पड़ा कि वह सिर्फ  चाइल्ड पोर्न वल्गारिटी के खिलाफ हैं अन्य पोर्न साइट पर प्रतिबंध लगाने की कोई मंशा नहीं है. सरकार ने जब प्रतिबंध की कार्रवाही की तो अनेक जरूरी वेबसाइट भी इसकी चपेट में आ गये. इससे इंटरनेट प्रोवाइडरों के सामने समस्या पैदा हो गई. सवाल यहां यह उठता है कि क्या पोर्न साइट पर प्रतिबंध लगा
देने से देश में दुष्कर्म और अन्य यौन बुराइयों पर लगाम लग जायेगी?अगर ऐसा है तो इसपर तत्काल प्रतिबंध लगा देना चाहिये लेकिन लोगों के बेडरूम में घुसकर तो कोई देख नहीं सकता कि वहां क्या हो रहा है.व्यक्तिगत या पर्सनल आजादी पर लगाम लगाने की बात तो सरकार सोच भी नहीं सकती? यह सही है कि पोर्न साइट बच्चों के लिये पूरी तरह से हानिकारक है इसका उपाय यह नहीं है कि पूरे वेबसाइट पर ही पाबन्धी लगा दी जाये. प्राय: हर वेबसाइट का अपना ताला अर्थात पासवर्ड होता है इस पर कड़ाई से पालन किया जाये तो बहुत हद तक पोर्नसाइट बच्चों तक पहुंचने से रोका जा सकेगा.विश्वस्तर पर व्याप्त बुराई पर भारत में रोक की पहल एक अच्छी शुरूआत है लेकिन कहां तक इसमें कामयाबी मिलेगी यह संदिग्ध है!

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