थोड़े बहुत ही ईमानदार बचे हैं, उन्हें जीने दो!



कुछ लोग ऐसे होते हैं जो अपना काम ईमानदारी और निष्ठा से करते हैं ऐसे में किसी दूसरे का दखल उसकी आत्मा को कचोटता है, यह उस समय और भी आत्मघाती हो जाता है जब वह खुद भी यही महसूस करता है कि मैने जब कोई गलती ही नहीं कि तो मुझ्ंो यह सजा क्यों दी जा रही है। आत्मसम्मानी लोगों के साथ ऐसा होता है और वे इन परिस्थितियो में ऐसा कोई भी कदम उठाने में संकोच नहीं करते। जगदलपुर के सीएसपी देवनारायण शर्मा और बिलासपुर के एसपी राहुल शर्मा को क्या हम इस श्रेणी में नहीं रख सकते? जो व्यक्ति अपने कर्तव्यों को ईमानदारी और निष्ठा से निभाता है तो उसे किसी का भय नहीं रहता वह किसी की परवाह किये बगैर आगे बढता जाता है, कोई बाधा आने पर भी उसका मुकाबाला भी उसी दबंगता के साथ करता है लेकिन लेकिन ऐसे लोगों को मुसीबतों का सामना भी बहुत करना पड़ता है। अंदर से नरम और अच्छे दिलवाला होने के बावजूद भी लोग उसे कठोर,अडियल,  जिद्दी जैसे शब्दों का प्रयोग करते है, इसकी परवाह भी उसे नहीं रहती मगर जब उसे काम सौपने वाले ही किसी के
बहकावे में आकर अथवा स्वंय ही निर्णय ले बैठते हैं तो यह एक खतरनाक मोड़ पर पहुंच जाता है। कुछ सालों से देश में जो माहौल बना हुआ है वह भ्रष्ट आचरण करने वालों से भर गया है इस बीच जो थोड़े बहुत ईमानदार बचे हैं उन्हें संभालकर रखने का कोई प्रयास किसी तरह से नहीं हो रहा है। आम तौर सरकारी विभागों में यह आम बात है जहां बास अपने आपको सबसे बुद्विमान समझकर अपने कलिग के खिलाफ ऐसे कदम उठा लेते हैं। दिलचस्प बात तो यह है कि ऐसे लोगो के खिलाफ कान भरने वालों का एक बहुत बड़ा वर्ग होता है जबकि उनके समर्थकों की संख्या बहुत कम होती है। सेना, पुलिस में फ्रस्टरेशन या निराशा कुंठा, तनाव की भरमार है इसके पीछे परिवार से दूर रहना, छुट्टी नहीं मिलना आदि कारण बनता है। यह न केवल छोटे स्तर पर होता है बड़े रेंक में काम करने वाले भी इसके शिकार होते हैं, कु छ अपने दिल में गुस्सा कुंठा पाले रखते हैं और मौका मिलते ही इतना उग्र रूप धारण कर लेते हैं कि उन्हे न तो अपने परिवार के भविष्य की चिंता होती है और न ही अपने जीवन की-इसका एक जीवंत उदाहरण है जम्मू कश्मीर के गांदरबल मानसबल का जहां सेना के एक कैम्प में कुमाऊ के रहने वाले एक जवान ने गुस्से में आकर अपने पांच साथियों की सोते में गोली मारकर हत्या कर स्वंय भी गोली मार ली। फोर्स में लगातार होने  वाली घटनाओं पर सरकार को भी कोई ऐसी प्रक्रिया अपनाने की जरूरत है जो कठिन परिस्थितियों में सेवा करने वालों को राहत दिला सकें।

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