क्यों की सीएसपी देव ने आत्महत्या?

25 फरवरी 2014

 पिछली रात जज मारपीट कांड में निलंबित सीएसपी देवनारयण पटेल के घर जो कुछ हुआ वह चौका देने वाला है। प्रारंभिक रिपोर्ट यही कह रही है कि 2007 बेच के देवनारायण पटेल ने अपने घर में पत्नी प्रतिमा व दो बच्चों को गोली मारने के बाद खुद को भी गोली मार दी। दोनो बच्चों का रायपुर के रामकृष्ण अस्पताल में इलाज चल रहा है जहां बच्ची की  हालत गंभीर बताई जा रही है वहीं बेटे को खतरे से बाहर बताया गया है।। देवनारायण एक दबंग पुलिस अफसर के रूप में माने जाते रहे हैं उन्हें नक्सलियों से मुकबले के लिये वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। संपूर्ण घटना के पीछे रविवार रात का वह मामला है जिसमें पुलिस वालों की एक टीम सीएसपी के नेतृत्व में ढाबों व होटलो में अवैध शराब की जांच के लिये निकली थी, इस दौरान  सीएसपी की टीम संगम होटल  के पास पहुंची जहां जाम लगा हुआ था, इसी बीच डीएसपी व एडीजे ए. टोप्पो के बीच कहा सुनी हो गई और बात मारपीट तक आ पहुंची। बताया जाता है कि मारपीट के दौरान जज ने अपना परिचय भी दिया था लेकिन इसका असर पुलिस वालों पर नहीं हुआ, पुलिस का  आरोप था कि जज नशे में थे। सोमवार को जज ने डीजी से मुलाकात की। टोप्पो की लिखित रिपोर्ट के बाद सीएसपी को प्रारंभिक जांच में दोषी पाकर निलंबित कर पीएचक्यू मेंं अटैच कर दिया गया। जज ने सोमवार को सुबह कुछ जजों व वकीलो के साथ मेडिकल कालेज में अपना मुलाहिजा भी कराया। बताया जा रहा है कि डीजी से शिकायत में वकीलों ने सीएसपी पर नारायणपुर में भी वकीलों से मारपीट का आरोप लगाया था। संपूर्ण मामले में कुछ संदेह दीवार पर लगी गोली से पर  भी  जाता है जो हो सकता है पत्नी व बच्चों को मारने के दौरान लगी हो या किसी ने इस संपूर्ण घटना का फायदा उठाते हुए सीएसपी से बदला निकालने का सही मौका ढूंढा हो।  बहरहाल परिजन इसे  आत्महत्या का मामला नहीं मान रहे हैं वे पूरे घटना की जांच सीबीआई से कराने की मांग कर रहे हैं। पुलिस फोर्स में यह घटना नई नहीं है- एक ऐसी  ही घटना  सन् 2012 में  बिलासपुर रेस्ट में हुई थी जहां 2002 बेच के आईपीएस एसपी राहुल शर्मा (37) ने अपनी सर्विस रिवाल्वर से गोलीमारकर जान दे दी थी। 17 अक्टूबर 2013 में राजनांदंगाव के चिल्हारी पुलिस स्टेशन में तैनात जवान कौशल वर्मा ने  अपनी रायफल से खुदकुशी कर ली थी। एक अन्य घटना में छुट्टी नहीं मिलने के कारण एक जवान ने अपने अफसर को पहले गोली मारी  फिर अपने आपको खत्म कर डाला,रायपुर के मंदिर हसौद थाना अंतर्गत भी ऐसा ही कुछ हुआ था। छत्तीसगढ़ में पुलिस व्यवस्था डीजीपी के तहत है। राज्य बनने के बाद रामनिवास सातवें डीजीपी थे जिनके स्थान पर नये डीजीपी आनंद कुमार की नियुक्ति हो चुकी है लेकिन उन्होंने अभी तक कार्यभार नहीं सम्हाला है। सोलह सशस्त्र बटालियन जिसमे भारतीय रक्षा वाहिनी भी शामिल है के साथ भरपूर फोर्स है जबकि सौ से ज्यादा आईपीएस कैडर के अधिकारी यहां तैनात हैं। सीएसपी देवनारायण के आत्महत्या मामले ने पुलिस फोर्स में मायूसी का वातावरण है। एक अच्छे पुलिस अधिकारी ने ऐसा क्यों किया यह सबकी जवान पर है। अब पुलिस को ही इसके कारणों को भी  खोजना है?

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