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KADVA SACH

majoseph23@gmail.com कड़वा सच -अक्सर मेरे घर व परिवार के लोग मुझसे सवाल करते हैं कि मैं चर्च क्यों नहीं जाता? सदैव इस सवाल का जवाब मैं हंसकर टाल देता, मैरे परिवार  के लोगों को मैरी यह आदत बहुत बुरी लगती। मेरे कई जातिगत मित्रों को भी यह पसंद नहीं कि मैं लगातार कई दिनों तक चर्च नहीं जाता, किन्तु इसका यह मतलब भी नहीं कि मैं नास्तिक हूं ,मुझे ईश्वर नामक महान शक्ति और अपने धर्म पर विशेषकर मदर मेरी पर पूर्ण विश्वास है चूंकि हर मुसीबत में वही मुझे बचाती रही हैं। मैं सुबह उठने के बाद उनको व मुझे जन्म देने वाली मां व मेरे पिता व स्वर्गीय पत्नी को जरूर याद करता हूं। सुबह स्नान करने के बाद मदर मेरी की मूर्ति के सामने कुछ पल अपने व अपने परिवार के लिये कुछ मांगता हूं इसमें मैं अपने परिवार की समृद्वि बच्चों की खुशहाली उनकी सलामती की दुआ करता हूं। यह बताकर मैं यह साबित करना चाहता हूं कि मैं पूरी तरह आस्थावादी हूं। अब रहा चर्च जाने या न जाने का सवाल? हमारी रचना ईश्वर ने की है तो हम उसके गुलाम है। परिवार, धर्म समाज सब बाद की व्यवस्था है जो इंसानों ने अपने लाभ के लिये और व्यक्ति को डराने के लिये की है।