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अराजकता की श्रेणी तो आ ही चुकी, सम्हाल सको तो सम्हालों!

रायपुर दिनांक 2 फरवरी 2011 अराजकता की श्रेणी तो आ ही चुकी, सम्हाल सको तो सम्हालों! लोकतंत्र, अराजकता, बाद में तानाशाही- हमने राजनीति में यही पड़ा था। लोकतंत्र जब असफल होता है तो अराजकता आती है और उसके बाद तानाशाही। क्या देश में ऐसी स्थिति का निर्माण हो रहा है? अगर भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त के हालिया बयान का विश£ेषण करें तो कुछ ऐसा ही प्रतीत होता है। उन्होंने देश में चुनाव सुधारों की तत्काल आवश्यकता महसूस की है। मुख्य चुनाव आयुक्त के अनुसार चुनाव सुधार की प्रक्रिया पिछले बीस सालो से लंबित है। सवाल यह उठता है कि लोकतंत्र की दुहाई देकर सत्ता में काबिज होने वाले राजनीतिक दलों ने इस महत्वपूर्ण मुद्दे को इतने वर्षो तक क्यों अनदेखा किया? देश में चहुं ओर जिस प्रकार का वातावरण निर्मित हुआ है चाहे वह भ्रष्टाचार हो, मंहगाई या अपराध-क्या उसे अराजकता की संज्ञा नहीं दी जा सकती। सबसे बड़ी बात तो यह कि निर्वाचित सरकार लोकताङ्क्षत्रक व्यवस्था में इस स्थिति को निपटाने में पूर्ण असफल साबित हुई है ओर पटरी से उतर चुकी व्यवस्था को फिर से पटरी पर लाने में एक तरह से विफल साबित हुई है। लोकतांत्रिक व्यवस्था क

मौत के मुंह में घर का बेटा- परिजनों के आंसू से भीगी छत्तीसगढ़ की माटी

रायपुर दिनांक 1 फरवरी 2011 मौत के मुंह में घर का बेटा- परिजनों के आंसू से भीगी छत्तीसगढ़ की माटी जिसके साथ बीतती है वही जानता है दर्द क्या होता है?छत्तीसगढ़ वह दुर्भाग्यशाली राज्य बनता जा रहा है जहां बहुत से लोग प्राय: एक के बाद किसी न किसी अप्रत्याशित गम के दौर से गुजर रहे हैं। कभी किसी का अपहरण,किसी की दुर्घटना में मृत्यु तो कभी कोई बड़ी घटना में परिवार के किसी का गुजर जाना एक आम बात हो गई है। इस समय सर्वाधिक चर्चा है उन पांच जवानों की जिन्हें नक्सली अन्य ग्रामीणों के साथ अपहरण कर जंगल में ले गये। राज्य सरकार से गुहार लगाने के बाद भी कोई हल नहीं निकला तो इन जवानों के परिजन स्वंय उन्हें जंगल में खोजने के लिये निकल पड़े हैं। परिवार के सदस्यों का दर्द इतना ज्यादा है कि उनके मुंह से अब आवाज निकलना तक बंद हो चुकी है। उनके आंसू से धरती गीली होती जा रही है। यह दर्द उन्हें उस समय और बढ़ा देता है जब इन जवानों के साथ अपहरत किये गये ग्रामीण वापस आ जाते हैं मगर जवान वापस नहीं आते। मुख्यमंत्री उा. रमन सिंह ने दिल्ली रवाना होने के पहले नक्सलियों के नाम एक मार्मिक अपील यह कहते हुए की कि वे मानवता क