सड़कों पर खूनी खेल...

रायपुर दिनांक 15जनवरी 2011
सड़कों पर खूनी खेल... न कभी
किसी ने रोका, न ही रोक सका!
रात दस- ग्यारह बजे के बाद छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर की सड़कों, पर खूनी खेल चलता है, यह खेल अग्रेयास्त्र से हो सकता है तो चाकू या फिर किसी खूनी वाहन से! कालोनियां, गली मोहल्ले भी इससे अछूते नहीं हैं। तेज वाहन हिट एंड रन का खेल खेलते हैं तो चाकूबाज और अग्नेयास्त्र से लैस लोग किसी का भी शिकार कर सकते हैं। दस बजे के बाद रायपुर का प्रशासन रिंग रोड़ से गुजरने वाली ट्रकों को भी रायपुर से घुसने की इजाजत दे देता है-यह वाहन तो शहर में धुसने के बाद सड़कों को अपनी जागीर समझ लेते हैं। इस दौरान शहर के बाहर बने ढाबों से खा पीकर लौटने वाले किस ढंग से गाड़ी चलाते हैं यह किसी को बताने की जरूरत नहीं। बुधवार को जो हादसा शहीद स्मारक के पास से शास्त्री चौक के बीच हुआ वह रायपुर के लिये कोई नई बात नहीं। पांच महीने पहले शंकर नगर में बुलेरों से इसी प्रकार एक दंपत्ति कुचलकर मार दी गई थी। राजातालाब, लालगंगा शाप, कोटा-गुढियारी मार्ग, जेल रोड़ पर देवेन््र्रद्र नगर चौक, तेलीबांधा, फाफाडीह में हुई घटनाओं को कोई भूल नहीं सका। हत्या करने वाले को उम्र कैद या फांसी की सजा होती है किंतु लापरवाही से गाड़ी चलाकर खून करने वाला सस्ते में निपट जाता है। दुर्घटना पीडि़त परिवार को अपने से बिछुडने का गम और अकेले जिंदगी बिताने की सजा। अक्सर एक्सीडेंट के मामले में ड्रायवर इसलिये गाड़ी नहीं रोकता चूंकि उसे इस बात का डर लगा रहता है कि कहीं उसने गाड़ी रोक दी तो उसे इसका खामियाजा लोगो के गुस्से से भरना पड़ेगा। दुर्घटनाएं जानबूझकर नहीं होती लेकिन दुर्घटना हो जाने के बाद तकलीफ तो चलाने वाले को भी होती है चूंकि वह जानबूझकर ऐसा नहीं करता। दुर्घटना के बाद वह अगर मदद के लिये गाड़ी से उतरा तो उसकी खैर नहीं जैसा कि हाल ही हुए हादसे से साफ जाहिर है। उसके पास सिर्फ हिट एंड रन के सिवा कोई दूसरा उपाय नहीं रह जाता। डरा हुआ ड्र्रायवर भीड़ अथवा पुलिस कार्रवाही से बचने के लिये भागने में ही अपनी भलाई समझता है। इसी दौड़ में कई लोगों की जान चली जाती है। यूपी में एक बस ने करीब अट्ठारह लोगों को कुचल दिया था। रायपुर में ऐसी घटनाओ का इतिहास रहा है। टाटीबंद में आज से कम से कम पच्चीस तीस साल पहले भारत माता स्कूल के सामने ट्रक ने एक स्कूली बच्चे को कुचलने के बाद दो अन्य लोगों को कुचल दिया था। ऐसा ही हादसा सीएसईबी चौक जीई रोड़ पर हुआ था जब यहां एक साथ आजाद चौक थाने के दो पुलिस अधिकारियों को रात में रौंद दिया गया। इसी स्पाट में डगनिया की वैज्ञानिक पाध्ये दंपत्ति भी ट्रक की खूनी चपेट में आकर मारी गई। इतने वर्षो बाद भी रायपुर के कर्ताधर्ताओं ने घटनाओं को टालने कोई प्र्रबंध नहीं किया। वर्षो से चले आ रहे हिट एंड रन के अलावा भी रायपुर की सड़के गुडंा व असामाजिक तत्वों की हरकतों से रक्तरंजित होती रही हैं। पुलिस अगर एहतियात बरते तो कई घटनाओं को टाला जा सकता है।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

ANTONY JOSEPH'S FAMILY INDX

बैठक के बाद फिर बैठक लेकिन नतीजा शून्‍य

छेडछाड की बलि चढ़ी नेहा-