जनता से बड़ा राजनीतिज्ञ कौन,

रायपुर, दिनांक 2 सितंबर 2010

जनता से बड़ा राजनीतिज्ञ कौन,
उसे भीड़ तंत्र डि गा नहीं सकता!
वर्षो तक छत्तीसगढ़ की राजनीति में कांग्रेस की छाया रही, अब ऐसा लगने लगा है कि कांग्रेस सत्ता व संगठन दोनों के परिवेश से दूर हो गया है। लगातार सत्ता भाजपा के हाथ में जाने के बाद जहां कांग्रेस की गतिविधियाँ शून्य हो गई है वहीं भाजपा ने इसका पूरा फायदा उठाते हुए आम जनों को अपने साथ जोड़कर अपनी सत्ता को अगले कुछ वर्षो तक और कायम रखने का भरपूर इंतज़ाम कर लिया है। साथ ही उसका पूरा प्रयास है कि वह इस दौर में अपने संगठन को भी इस अंचल में मजबूत करे। देश की सत्ता में काबिज होने में असफल भाजपा का पूरा प्रयास अभी अपने द्वारा शासित राज्यों में अपनी साख को कायम रखना है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी का छत्तीसगढ़ दौरा भी लगता है कुछ इसी परिप्रेक्ष्य में है। वे अधिकांश ऐसे राज्यों का दौरा कर वहां अपनी स्थिति को मजबूत करने के प्रयास में लगे हैं, जहां उनका पहले से बोलबाला है। दूसरी ओर कांग्रेस की अगर देशव्यापी स्थिति का विश£ेषण किया जा ये तो उसके नेता विशेष कर राहुल गांधी की राजनीति उत्तर प्रदेश और उसके आसपास के राज्यों तक ही सिमटकर रह गई है। आदि वासियों के बीच अपनी पैठ कायम करने का प्रयास भी राहुल गांधी कर रहे हैं। मगर एक देशव्यापी छवि बनाने का उनका कोई प्रयास न होना कार्यकर्ताओं को निराश कर रहा है। छत्तीसगढ़ में व्यक्तिगत रूप से देखा जाये तो सिर्फ डॉ. रमन सिंह के कार्यो और उनकी सक्रियता ने यहां सत्ता व भाजपा दोनों को मज़बूती प्रदान की है। उनका मंत्रिमंडल यूं तो भरपूर है किंतु कुछेक को छोड़कर महत्वपूर्ण पोर्ट फोलियों सम्हाले लोगों के बारे में भी लोग नहीं जानते कि किस पद पर कौन बैठा है। ऐसे लोगों का न जनता के बीच उठना- बैठना है और न ही सरकारी कार्यो में कोई दिलचस्पी-हां ठाठ- बाट में कोई कमी नहीं है। लाल बत्ती में घूमने को ही वे सरकार चलाना समझते हैं। मुख्यमंत्री द्वारा हाल में निगम अध्यक्षों की नियुक्ति की गई पर ये भी कुछ ऐसा करके नहीं दिखा रहे हें जिससे इनकी उपयोगिता लोगों को समझ में आये। बहरहाल, नितिन गडकरी के छत्तीसगढ़ दौरे से भाजपा अपने कार्यकर्ताओं को फिर से संगठित कर अपनी सक्रियता का अहसास कराने की कोशिश कर रही है। भाजपा को यह काम यहां करने की जगह उन राज्यों में करना चाहिये जहां उसकी स्थिति शून्य है। छत्तीसगढ़ रमनसिह की योजनाओं, विकास और व्यक्तिगत छवि के बल पर आगे बढ़ रहा है। उसे यहां फिलहाल जोर लगाने के लिये बाहर से नेताओं की जरूरत नहीं हैं। हां, एक जागरूकता लाने का एक हिस्सा यह ज़रुर हो सकता है किंतु राजनीतिक विश£ेषकों की माने तो नितिन गडकरी के प्रवास का कोई बहुत बड़ा लाभ पार्टी को मिलेगा, ऐसा नहीं कहा जा सकता। हां एक बड़ा झटका कांग्रेस को लग सकता है कि वह विधानसभा में पिछली बार हार के बाद से अब तक ऐसा कोई भी उल्लेखनीय कार्य जनता के समक्ष करके नहीं दिखा सकी। जो उसे छत्तीसगढ़ में फिर एक नई उर्जा प्रदान कर सकें। कांग्रेस प्राय: सभी मामलों में निष्क्रिय है। उसके नेता बयानबाज़ी और कभी- कभी अपने व्यक्तिगत शक्ति परीक्षण तक ही सीमित रहते हैं। ऐसे में भाजपा का आम जनता के बीच अपनी साख बनाने की कोशिश का रंग लाना स्वाभाविक है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के आग मन का कोई बहुत बड़ा असर राजनीति पर पड़ेगा। इसकी आशा नहीं की जा सकती- दो तीन दिन तक राजधानी की सड़कों पर हलचल ज़रूर होगी। प्रदेश भर से लोगों को लाने व अपने नेता के भव्य स्वागत की तैयारी की गई है। किंतु सभी दलों के नेताओं को यह समझ लेना चाहिये कि आम जनता जो कि उनकी वोटर है, वह हर राजनीतिक दल की चाल को अपने चश्मे से देखने लगी है, क्योंकि वह भी त्रेसठ सालों में उनके साथ -साथ रहकर बहुत बड़ी राजनीतिज्ञ बन गई है।

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