संदेश

अगस्त, 2010 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

कलंकित क्रिकेट!

कलंकित क्रिकेट! मंगलवार।दिनांक 31 अगस्त 2010पाक का एक और मुखौटा इस समय विश्व के सामने हैं। मैच फ़िक्सिंग कर पाक खिलाडियों ने न केवल अपना नाम खराब किया बल्कि अपने देश का भी मुंह काला कर दिया। अब तक जो तथ्य सामने आ रहे हैं वे यही बता रहे हैं कि सुरा-सुन्दरी में मस्त पाक क्रिकेट खिलाड़ी पैसा कमाने के लिये कुछ भी कर गुजरने के लिये तैयार रहते हैं। पाक क्रिकेटरों की इन हरकतों ने पाक आंतकवादियों को भी शर्मिंदा कर दिया है। वे अब इन क्रि केटरों की खून के प्यासे हो गये हैं। पाक क्रि केटर आसिफ की एक पूर्व प्रेमिका पाक अभिनेत्री वीना मलिक ने जो रहस्योद्घाटन किया है, उसमें क्रिकेटरों की पोल पूरी तरह खुल जाती है। आसिफ़ का भारतीय सट्टेबाज़ से संबन्ध और उससे पैसे लेने की बात के बाद अब पाक क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड को इस खिलाड़ी के बारे में सोचने की जरूरत ही नहीं रह जाती है। उक्त महिला सारे प्रमाण भी देने के लिये तैयार बताई जा रही है। आसिफ़ ने पैसा कमाने और किसी से मुलाकात के लिये अचानक बैंकाक की यात्रा भी की थी। पाक का सारा खेल सेटिंग से रहा है। पाक की जनता जिन्हें सर आंखों पर लेकर चलती रही है। उनके का

कलंकित क्रिकेट!

रायपुर मंगलवार।दिनांक 31 अगस्त 2010 कलंकित क्रिकेट! पाक का एक और मुखौटा इस समय विश्व के सामने हैं। मैच फिक्सिंग कर पाक खिलाडियों ने न केवल अपना नाम खराब किया बल्कि अपने देश का भी मुंह काला कर दिया। अब तक जो तथ्य सामने आ रहे हैं वे यही बता रहे हैं कि सुरा-सुन्दरी में मस्त पाक क्रिकेट खिलाड़ी पैसा कमाने के लिये कुछ भी कर गुजरने के लिये तैयार रहते हैं। पाक क्रिकेटरों की इन हरकतों ने पाक आंतकवादियों को भी शर्मिंदा कर दिया है। वे अब इन क्रि केटरों की खून के प्यासे हो गये हैं। पाक क्रि केटर आसिफ की एक पूर्व प्रेमिका पाक अभिनेत्री वीना मलिक ने जो रहस्योद्घाटन किया है, उसमें क्रिकेटरों की पोल पूरी तरह खुल जाती है। आसिफ का भारतीय सट्टेबाज से संबन्ध और उससे पैसे लेने की बात के बाद अब पाक क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड को इस खिलाड़ी के बारे में सोचने की जरूरत ही नहीं रह जाती है। उक्त महिला सारे प्रमाण भी देने के लिये तैयार बताई जा रही है। आसिफ ने पैसा कमाने और किसी से मुलाकात के लिये अचानक बेंकाक की यात्रा भी की थी। पाक का सारा खेल सेटिंग से रहा है। पाक की जनता जिन्हें सर आंखों पर लेकर चलती रही है। उनके क

बांधों में लबालब पानी!

रायपुर सोमवार।दिनांक 30 अगस्त 2010 बांधों में लबालब पानी! मौसम विशेषज्ञों की माने तो इस बार सितंबर में भी वर्षा होगी। अगर यह बात सही निकलती है तो प्रदेश में इतना पानी तो हो जायेगा कि अगले गर्मी में लोगों को ज्यादा परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा। बशर्ते कि हम कृषि, निस्तारी व अन्य कामों में पानी का उपयोग सीमित मात्रा में करें। हमें जो आंकड़े प्राप्त हुए हैं उसके अनुसार प्रदेश के इकचालीस जलाशयों में इस समय कम से कम चार हजार मिलियन घन मीटर पानी जमा है। हाल के दिनों में हुई वर्षा से स्थिति में काफी सुधार हुआ है। प्रदेश के जलाशयों में कुल जलभराव क्षमता छै हजार चार सौ दशमलव दो सौ उन चालीस घन मीटर है। अर्थात आज की स्थिति में आधे से भी ज्यादा अर्थात साठ से पैसठ प्रतिशत पानी जलाशयों में मौजूद है। हम इसपर संतोष इसलिये नहीं कर सकते चूंकि कई जलाशय अभी भी चौदह या सत्रह प्रतिशत से ऊपर नहीं भरे हैं। यह स्थिति सरगुजा के बाक़ी व कुंवरपुर जलाशय की है। जबकि यहीं का श्याम जलाशय जिसकी क्षमता 62. 050 मिलियन घन मीटर है, में क्षमता के अनुरूप सौ प्रतिशत पानी भर चुका है। बस्तर के कोसारटेड़ा जलाशय पूरी तरह लब

छत्तीसगढ़ में क्रिमिनल्स की बाढ़

रायपुर,सोमवार दिनांक 30 अगस्त 2010 छत्तीसगढ़ में क्रिमिनल्स की बाढ़, किसने प्रोत्साहन दिया? नोएडा में आरूषी-हेमराज हत्याकांड के बाद जितने भी संदिग्ध हिरासत में लिये गये थ,े उनमें से अधिकांश नेपाल के नागरिक थे। इस हत्याकांड का खुलासा आज तक नहीं हुआ। रायपुर में शनिवार को डीआरसीएल लाजेस्टिक लिमिटेड में सात लाख इकसठ हजार की चोरी मामले में जिन लोगों को पकड़ा गया है, वे सभी नेपाली नागरिक हैं तथा यहां विभिन्न मोहल्लों में अपने आप ही अपाइंट होकर चौकीदारी कर रहे थे। इसमें जो प्रमुख आरोपी है वही मात्र ट्रांसपोर्ट कं पनी से संलग्न रहा हैं। इस कांड के बाद विदेशी नागरिकों व बाहरी राज्यों से आकर यहां बसने वाले कतिपय लोगों की गतिविधियां फिर संदेह के दायरे में आ गई है। असल में यह पूरा किस्सा लोगो की लापरवाही व पुलिस की ऐसे लोगो के प्रति निष्क्रियता का ही परिणाम है, जिसके चलते इनके हौसले बुलंदी पर हैं। हमको अति विश्वास है कि यह विदेशी नागरिक अपनी खुखरी और डंडे के बल पर सी टी बजाकर हमारी सुरक्षा करने का दायित्व बखूबी निभाते हैं मगर असलियत क्या यही है? मैं अपने इन्हीं कालमों में कई बार यह प्रश्न उठाता आय

दुनिया के अंत का चक्कर...

दुनिया के अंत का चक्कर... अब सौर तूफान आने की चेतावनी! रायपुर रविवार।दिनांक 29 अगस्त 2010 बहुत पहले डिस्कवरी चैनल ने एक खोज पूर्ण खबर दिखाई थी जिसमें विश्व के एक विकासशील देश की उस पोल को खोला गया जिसमे उसने दावा किया था कि वह चाँद पर पहुंच गया और वहां उसके लोग घूम कर आये-चैनल ने अपनी खोज में वह चित्र दिखायें जिसमें कहा गया था कि यह देश चाँद पर वास्तव में पहुंचा ही नहीं इसके लिये चैनल ने हॉलीवुड की उस फिल्म का दृश्यांकन लोगों को दिखाया जिसके जरिये विश्व को बेवकूफ़ बनाने का प्रयास किया गया। वास्तव में जिस वीडियो को दिखा कर चाँद में उतरने वहां टहलने का दावा किया गया था वह हॉलीवुड की किसी फिल्म से लेकर दिखाया गया था। चैनल में उस फिल्म में मील का एक पत्थर देखकर यह पता लगा लिया कि जो दावा किया गया वह फ़र्ज़ी था। इस तथ्य को यहां उजागर करने के पीछे मैरा मकसद यह है कि हम वर्षो से यह भविष्यवाणी सुनते आ रहे है कि इस सन् मे या उस सन् में दुनिया का अंत हो जायेगा । कभी स्काइलैब गिरने की बात तो कभी महाअभियान से दुनिया का अंत तो कभी किसी वर्ष भारी तबाही मचाने वाले उल्का पिंड के गिरने की खबर से डराया

सकल घरेलू उत्पाद दर!

रायपुर शनिवार। दिनांक 28 अगस्त 2010 सकल घरेलू उत्पाद दर! अपना घर अपना ही होता है, किराये पर रहने वाले घर और अपने घर में यही अंतर है कि जो सुधार या विकास उसमें करना चाहते हैं वह किराये के मकान में नहीं कर पाते। जब छत्तीसगढ़ मध्यप्रदेश का उपनिवेश बना हुआ था तब यहां विकास नाम मात्र का था। हमने छत्तीसगढ़ की मांग भी इसीलिये की क्योंकि हम यहां के लोगों की समृद्धि विकास व खुशहाली चाहते थे। राज्य बनने के बाद हमारी अपनी सरकार बनी यहां के लोगों को सात सौ किलोमीटर दूर भोपाल राजधानी तक जाने और वहां जाकर काम कराने से मुक्ति मिली। विकास के सारे कार्य लोगों के घर पर ही पहुंचने लगे। समृद्वि और उन्नति का जाल बिछाने मे हमारी कामयाबी का ही नतीजा है कि आज छत्तीसगढ़ राज्य देश में सकल घरेलू उत्पादन दर के मामले में देश के दूसरे राज्यों से आगे निकल गया। नक्सली हिंसा के बावजूद छत्तीसगढ़ की जीडीपी दर 11. 49 तक पहुंच गई। प्रति व्यक्ति आय जहां दोगुनी हुई वहीं राज्य में नये नये उद्योग लगे तथा खेती मे बदलाव आया। सर्वत्र तरक्की से आम जनता खुश है लेकिन हमें इसी से संतोष करके बैठ नहीं जाना है। इस अंचल को खुशहाल बनाने

सकल घरेलू उत्पाद दर!

रायपुर शनिवार। दिनांक 28 अगस्त 2010 सकल घरेलू उत्पाद दर! अपना घर अपना ही होता है, किराये पर रहने वाले घर और अपने घर में यही अंतर है कि जो सुधार या विकास उसमें करना चाहते हैं वह किराये के मकान में नहीं कर पाते। जब छत्तीसगढ़ मध्यप्रदेश का उपनिवेश बना हुआ था तब यहां विकास नाम मात्र का था। हमने छत्तीसगढ़ की मांग भी इसीलिये की क्योंकि हम यहां के लोगों की समृद्वि विकास व खुशहाली चाहते थे। राज्य बनने के बाद हमारी अपनी सरकार बनी यहां के लोगों को सात सौ किलोमीटर दूर भोपाल राजधानी तक जाने और वहां जाकर काम कराने से मुक्ति मिली। विकास के सारे कार्य लोगों के घर पर ही पहुंचने लगे। समृद्वि और उन्नति का जाल बिछाने मे हमारी कामयबी का ही नतीजा है कि आज छत्तीसगढ़ राज्य देश में सकल घरेलू उत्पादन दर के मामले में देश के दूसरे राज्यों से आगे निकल गया। नक्सली हिंसा के बावजूद छत्तीसगढ़ की जीडीपी दर 11. 49 तक पहुंच गई। प्रतिव्यक्ति आय जहां दोगुनी हुई वहीं राज्य में नये नये उद्योग लगे तथा खेती मे बदलाव आया। सर्वत्र तरक्की से आम जनता खुश है लेकिन हमें इसी से संतोष करके बैठ नहीं जाना है। इस अंचल को खुशहाल बनाने

हल तो हमें ही खोजना होगा?

रायपुर शनिवार। दिनांक 28 अगस्त 2010 हल तो हमें ही खोज ना होगा? अभी कुछ दिन पहले ही हमारे मंत्रीगण और यहां तक कि राष्ट्रपति ने भी चीन की यात्रा की थी। चीन से प्रेम मोहब्बत की बात हुई और अंतत: उसने फिर अपना असली रूप दिखा ही दिया। पाकिस्तान और चीन के बारे में हम क्यों उनकी असलियत को नहीं समझते। यह वही चीन है जिसके प्रधानमंत्री चाउ-एन-लाई ने सन् 1962 में भारत का दौरा कर हिन्दी चीनी भाई भाई का नारा दिया था और वापस चीन जाकर भारत पर हमला कर हमारी हजारों एकड़ ज़मीन को हड़प लिया। यह ज़मीन आज भी उसके कब्ज़े में हैं। इसे न हम उससे छुड़ा सकते हैं और न इसकी ताकत हमारी सरकार के पास है। यही हाल पाकिस्तान का है- उसके प्रधानमंत्री ज़ुल्फ़िकार अली भुट्टो जिन्हें पाकिस्तान की सरकार ने बाद में फाँसी पर लटका दिया भारत के खिलाफ सौ वर्षो तक लड़ाई लड़ने की बात करते रहे। पाकिस्तान के हुक्मरानों के मुंह से निकलने वाली हर बात भारत में जहर का काम करती है। क्यों हम ऐसे लोगों से शांति और दोस्ती की उम्मीद करें?चीन ने हमारे जनरल को वीजा नहीं दिया तो कोई आश्चर्य नहीं करना चाहिये वह इससे भी बढ़कर कुछ भी कर सकता है चूंक

हर मोड़ पर मनचलों की छीठाकशी

रायपुर शनिवार।दिनांक २८ अगस्त २०१० हर मोड़ पर मनचलों की छीटाकशी बे बस युवतियों,कौन बचायें इन्हें? अभी दो रोज पहले की बात है मैं काली बाड़ी चौक में खड़ा जगदलपुर से आ रही बस में अपने परिवार के सदस्यों का इंतजार कर रहा था। मैरे पास से दो तीन लड़के निकले, दिखने मेे सीधे साधे -वे बात करते हुए आगे निकल गये , वहीं सामने से दो तीन लड़कियाँ भी आ रही थी। मैने देखा कि उन लड़कों में से एक ने उन लड़कियों से छेडखानी करते हुए कोई ऐसी बात कही कि वह तिल मिला उठी सभ्य घरानों की इन लड़कियों ने सड़क में कोई सीन क्रियेट करना उचित नहीं समझा, वे सिर झुकाएं आगे बढ़ गई। इस वाक्यें से मेरे मन में कई विचार आये-पहला यह कि आज के हालात में लड़कियों का सड़क पर निकलना कितना कठिन है। सीधे साधे दिखने वाले युवक भी कैसा दु:साहस कर बैठते हैं? दूसरी बात कि सड़क पर चलने वाली महिलाओं ने अगर ऐसे किसी व्यक्ति को जवाब दे दिया तो उन्हें इसका ख़ामियाज़ा दूसरे ढंग से भी भुगतना पड़ सकता है। इस बीच अगर मेरे जैसे किसी व्यक्ति ने इस प्रकार की छेडख़ानी का विरोध कर दिया तो शायद इसका प्रतिफल मुझे या जो भी विरोध करें उसे ही भुगतना पड़ेगा। छेड़छाड़ की शिक

स्वाइन फ्लू।

रायपुर शुक्रवार। दिनांक 27 अगस्त 2010 स्वाइन फ्लू। स्वाइन फ्लू से एक के बाद एक सात मौतों ने छत्तीसगढ़ को दहशत में डाल दिया है। मरने वालों में से अधिकांश बिलासपुर जिले के हैं। दुर्ग व रायपुर भी स्वाइन फ्लू से पीडि़त है, यहां भी मरीज़ों की मृत्यु महामारी से हुई है। स्वाइन फ्लू। से मरीजों की मौत की पुष्टि दिल्ली स्थित प्रयोग शाला से आने वाली रिपोर्ट के बाद होती है। यहंा से रिपोर्ट आने में वक्त लग जाता है। पीड़ित मरीज़ एक दो दिन के भीतर ही प्राण छोड़ देता है। ऐसे में सरकार को छत्तीसगढ़ को स्वाइन फ्लू से मुक्त करने एक बड़ा अभियान चलाने की जरूरत है। उसका ध्यान सिर्फ डॉ. आम्बेडकर अस्पताल पर है, जो आम आदमी की नजर में एक निष्क्रिय अस्पताल है। यहां पांच सौ थ्री लेयर मास्क मंगवाने का दावा किया गया है लेकिन मरीज़ों को किस तरह से चिकित्सा सुविधा मुहैया की जायेगी आदि की कोई ब्यूह रचना तैयार नहीं की गई है। दिल्ली की प्रयोग शाला को स्वाइन फ्लू पीडि़तों की चौबीस रिपोर्ट भेजी गई। इसमें से माात्र नौ कि रिपोर्ट मिली। इनमें चार स्वाइन फलू से पीडि़त हैं। इसी से अंदाज लगाया जा सकता है कि स्वाइन फ्लू ने तेजी

दो लाख कुछ नहीं !

रायपुर शुक्रवार। दिनांक 27 अगस्त 2010 दो लाख कुछ नहीं ! मंहगाई के इस दौर में केन्द्र सरकार की तरफ से उन लोगों को बड़ी राहत मिली है जिनकी आमदनी सालभर में दो लाख रूपये से कम है। अब तक एक लाख साठ हजार रूपये तक की आमदनी वाले व्यक्ति को आय कर पटाना पड़ता था लेकिन अब इसे बढ़ाकर दो लाख रूपये कर दिया गया है। केन्द्र सरकार ने करदाताओं को राहत पहुंचाने की गरज से प्रत्यक्ष कर संहिता डीटीसी को मंजूरी दी है। नये कानून में दो दशमलव पांच लाख रूपये की आय पर अब दस प्रतिशत और पांच दशमलव दस लाख की आय पर बीस व दस लाख से ज्यादा की आय पर तीस प्रतिशत की दर से कर लगने की संभावना है। वरिष्ठ नागरिक और महिलाएं पहले से छूट का फायदा उठा रहै है। संभव है यह छूट आगे भी जारी रहेगी। ऐसा लगता है सरकार ने अचानक यह कदम संसद में हाल ही सांसदों के वेतन में बढ़ोतरी से जनता में उभरे आक्रोश के परिप्रेक्ष्य में उठाया है। जनता माननी यों के वेतन में किये गये तीन सौ प्रतिशत की वृद्वि से भारी गुस्से में है, ऐसे समय में आयकर में थोड़ी बहुत छूट देकर जनता की नाराजगी को कम करने का एक प्रयास इसे माना जा सकता है। दो लाख तक टैक्स नहीं का

नकल,भ्रष्टाचार का कलंक कैसे धोयेगी न्यायपालिका?

रायपुर शुक्रवार। दिनांक 27 अगस्त 2010 नकल,भ्रष्टाचार का कलंक कैसे धोयेगी न्यायपालिका? परीक्षा हाल में लगे कैमरे की मदद से देश के पांच जजों को आंध्र प्रदेश के एल एलएम परीक्षा आयोजकों ने नकल करते देखा। इनमें से एक पूरी किताब लिये हुए था तो कुछ के पास फाड़े हुए पन्ने और अन्य नकल सामग्री थी। आयोजकों की आंखों के बाद यह किस्सा पूरे देश में फैल गया कि पांच जज नकल करते हुए पकड़े गये। हमारी न्याय व्यवस्था को शर्मसार करने वाली यह पहली घटना नहीं है। इससे पूर्व भी कम से कम आधा दर्जन माननीय जज पीएफ घोटाले और अन्य मामलों में दोषी पाए जा चुके हैं। इस घटना ने आम लोगों की न्याय व्यवस्था की विश्वसनीयता और ईमानदारी दोनों पर प्रश्न चिन्ह लगा दिया है। न्याय व्यवस्था पर हम हमेशा गर्व करते रहे हैं। अब भी हमें उसपर गर्व है किंतु कहावत है- एक मछली पूरे तालाब को खराब करती है- क्या पीएफ घोटाले और एल एलएम परीक्षा में नकल मारने वाले माननी यों ने कु छ ऐसा ही नहीं किया? जो लोग नकल मारकर पास होते हैं, उनका नौकरी पाने के बाद का चरित्र क्या रहता है, यह बताने की जरूरत नहीं। जिन लोगों को पंच- परमेश्वर अर्थात भगवान का दर्

कमजोर कानून

रायपुर,बुधवार दिनांक 25 अगस्त 2010 कमजोर कानून टीन एजर्स में बढते अपराध का कारण कानून सख्त हो जा ये तो किसी की मजाल नहीं कि मनमानी कर सकें- हम यह दावे के साथ कह सकते है कि ट्रेफिक के मामले में पिछले कुछ समय से की गई सख्ती ने रायपुर के लोगों को काफी राहत दी है। अपराध के मामले में पुलिस को कुछ इसी तरह का रवैया अपनाने की जरूरत है। जिस तेजी से अपराध बढ़ रहे हैं उसका एक बड़ा कारण कानून की दिलाई और कानून से लोगों का डर खत्म होना है। निमोरा में तिहरे हत्याकांड में लिप्त लड़के ही निकले जिन्होंने पैसे की लालच में चोरी की और चोरी करते देख लेने के डर से तीनों बच्चों को मौत के घाट उतार दिया। हम पहले ही यह बता चुके हैं कि अपराध का तीन कारण हो सकता है- एक टीन एजर्स सेक्स, दूसरा चोरी और चोरी करते बच्चों का देख लेना या फिर आपसी रंजिश। इन तीनों में से दूसरी बात सही निकली। टीन एजर्स सेक्स की संभावना सिर्फ बालिका की भूमिका से ही व्यक्त किया गया। हमने यह भी बताया था कि बच्चे आपस मे ंखेल के खेल के दौरान बहुत कुछ कर डालते हैं। पड़ोसी युवकों का घर में आना जाना था। जब उन्होंने चोरी की तो उसे शेष बच्चों ने देख लि
रायपुर,बुधवार दिनांक 25 अगस्त 2010 कमजोर कानून टीन एजर्स में बढते अपराध का कारण कानून सख्त हो जाये तो किसी की मजाल नहीं कि मनमानी कर सकें- हम यह दावे के साथ कह सकते है कि ट्रेफिक के मामले में पिछले कुछ समय से की गई सख्ती ने रायपुर के लोगों को काफी राहत दी है। अपराध के मामले में पुलिस को कुछ इसी तरह का रवैया अपनाने की जरूरत है। जिस तेजी से अपराध बढ़ रहे हैं उसका एक बड़ा कारण कानून की ढिलाई और कानून से लोगों का डर खत्म होना है। निमोरा में तिहरे हत्याकांड में लिप्न्त लड़के ही निकले जिन्होंने पैसे की लालच में चोरी की और चोरी करते देख लेेने के डर से तीनों बच्चों को मौत के घाट उतार दिया। हम पहले ही यह बता चुके हैं कि अपराध का तीन कारण हो सकता है- एक टीन एजर्स सेक्स, दूसरा चोरी और चोरी करते बच्चों का देख लेना या फिर आपसी रंजिश। इन तीनों में से दूसरी बात सही निकली। टीन एजर्स सेक्स की संभावना सिर्फ बालिका की भूमिका से ही व्यक्त किया गया। हमने यह भी बताया था कि बच्चे आपस मे ंखेल के खेल के दौरान बहुत कुछ कर डालते हैं। पडौसी युवकों का घर में आना जाना था। जब उन्होंने चोरी की तो उसे शेष बच्चों ने देख

आतंकवाद कौन फैला रहा?

रायपुर गुरुवार। दिनांक 26 अगस्त 2010 आतंकवाद कौन फैला रहा? नेता, मंत्री अपने बयान पर लगाम लगायें! यह चाहे हिन्दू आतंकवाद हो, चाहे मुस्लिम या फिर माओवाद या अन्य अपराध- इन सब में पिसती है आम जनता। बयान देने वाले नेताओं का कुछ नहीं होता- कोई भी निर्दाेष व्यक्ति जिसका किसी से लेना देना नहीं वह इस माहौल में आकर बलि का बकरा बन जाता है। आतंक फैलाने वाले खुश होते हैं और सरकार निंदा प्रस्ताव, मुआवजा और श्रध्दाजंलि देकर अपने कर्तव्य का निर्वहन कर चुप हो जाती है। इस बीच कोई पुलिस का आदमी मारा जाता है, तो उसे शहीद बना दिया जाता है। शहीद वे कहलाते हैं जो देश के लिये दुश्मनों से लड़कर मारा जा ये लेकिन आजकल आतंकवादी, नक्सली की गोली या बारूद से मरने वाला भी शहीद हो जाता है। चाहे उसने मुठभेड़ की हो या नहीं। बार बार आतंक के चलते शहीद की परिभाषा ही बदल दी गई। लाखों करोड़ों रूपये अब तक शहीदों को मुआवज़े के नाम पर दिया जा चुका है लेकिन सरकार ने ऐसा कोई एहतियाती कदम नहीं उठाया कि निर्दाेष आम आदमी मारा न जाये तथा पुलिस के जवान कथित रूप से शहीद की गिनती में शामिल न हो वें। बुधवार को भारत के गृह मंत्री पी चिदंबर

सांपों के लिये हास्टल...

रायपुर सोमवार।दिनांक 22 अगस्त 2010 सांपों के लिये हास्टल...और हाथी, आवारा मवेशी, कुत्ते कहां जायेगें? रायपुर के पास नंदनवन में सांपों का भी अपना हास्टल होगा, वे वहां आराम से रहेंगे, उनकों वन विभाग के कर्मचारी दूध- रोटी और कभी कभी चूहों का मांस भी खिलायेंगे! पूरे छत्तीसगढ़ के विभिन्न क्षेत्रों से आने वाले सांपों का जमघट..क्या मजा आयेगा न! इस खबर ने आज मुझे रोमांचित कर दिया। मेरे मन में ख्याल आया कि हमारे लोगों को सांप की कितनी चिंता है। इंसान और भगवान को इस बरसात के मौसम में अवैध कब्जे के नाम से घरों से बेदखल किया जा रहा है और अंबिकापुर, सूरजपुर, जशपुर के जंगलों में रहने वालों को हाथी पछाड़ रहे हैं। तपकरा और कोरबा इलाकों में लोगों को नाग डस- डसकर काल के गाल में पहुंचा रहे हैं । वहीं राजधानी रायपुर की सड़कों पर आवारा मवेशियों और कुत्तों की भीड़ बढ़ती जा रही है, उसकी किसी को चिंता नहीं। हमारे कर्ताधर्ताओं को चिंता है, उन सांपों की जिनके काटने के बाद आदमी सीधे स्वर्ग लोक के दर्शन करता है। जिसके काटने के बाद इंसान को बचाने के लिये अस्पतालों में दवा भी उपलब्ध नहीं होती। सांपों का नंदनवन या वन

निमोरा हत्याकांड टीन एजर्स सैक्स तो नहीं ?

रायपुर रविवार।दिनांक 22 अगस्त 2010 निमोरा हत्याकांड कहीं पर्दे के पीछे टीन एजर्स सैक्स तो नहीं ? जब घर पर मां-बाप नहीं रहते तब बच्चे कई किस्म के खेल खेलते हैं- कुछ खेल ऐसे भी होते हैं जो दूसरे बच्चों को गवारा नहीं होते। वे उस पर लड़ाई कर बैठते है और यहां तक कह बैठते हैं कि मां को आने दो या पिताजी को आने दो हम सब बता देंगे- बस इसी बात को लेकर ज़ोरदार लड़ाई हो जाती हैं, इसमें खून ख़राबा भी हो जा ये तो आश्चर्य नहीं। रायपुर से बीस किलोमीटर दूर निमोरा गांव में बीते शुक्रवार को तीन बच्चों की निर्मम हत्या और उसके बाद उसे जलाने की कोशिश मामले में पिछले अड़तालीस घंटे से पुलिस उलझी हुई है। हमने ऊपर सिर्फ एक उदाहरण दिया कि कुछ ऐसा भी हो सकता है। इसके अलावा घटना का कारण चोरी भी हो सकता है जिसे बच्चों ने देख लिया और हत्या हो गई। तीसरा और महत्वपूर्ण कारण सेक्स है, जो वहां मौजूद बच्चों ने देखा तथा इसका भेद न खुले इसके लिये खूनी खेल खेला गया। हम इस मामले में दावे के साथ नहीं कह सकते कि भुनेश्वरी नामक लड़की जो कि इस परिवार की एक सदस्या है, के साथ कोई अन्य युवक भी यहां मौजूद था जिसके हाथों या दोनों की मिली

उनका पेट नहीं भरता!

रायपुर,शनिवार दिनांक 21 अगस्त 2010 उनका पेट नहीं भरता! यह कैसी जिद? क्यों चाहते हैं सांसद भारत सरकार के सचिव से एक रूपये ज्यादा वेतन। और वेतन बढ़ाने की मांग पर यह कैसी राजनीति? संसद में अपना वेतन बढ़ाने के लिये गैर भाजपा सांसदों ने जो तरीका अपनाया क्या वह इन सांसदों के क्षेत्र के लोगों की भावनाओं के अनुरूप है? सांसद मुलायम सिंह हो या लालूप्रसाद यादव जन सेवा के लिये यह सांसद ग़रीबों के मसीहा बनने में कभी पीछे नहीं हटते, लेकिन जिस तरह यह करोड़पति सांसद अपनी जन सेवा का दाम लगा रहे हैं। यह तो यही दर्शा रहा है कि इन्हें अपने आगे पीछे घूमने वाली जनता से ज्यादा अपने व अपने परिवार की खुशहाली की चिंता है। केन्द्रीय कैबिनेट ने शुक्रवार को सांसदों का वेतन तीन गुना से भी ज्यादा बढ़ा दिया लेकिन गैर भाजपा सांसदों को यह वृद्धि मंज़ूर नहीं। वे इसे कम आंकते हुए वेतन बढ़ाकर अस्सी हजार एक रूपये रखने की मांग कर रहे हैं। यह वेतन भारत सरकार के सचिवों के वेतन से एक रूपये ज्यादा है। अभी बढ़ा वेतन, कार्यालय खर्च, निर्वाचन क्षेत्र भत्ता और पेंशन मिलाकर वेतन करीब डेढ़ लाख रूपये तक पहुंच जायेगा। कुछ विश्लेषकों का कहना ह

भूखी नंगी जनता के चेहरे पर करारा तमाचा!

रायपुर शनिवार।दिनांक 21 अगस्त 2010 भूखी नंगी जनता के चेहरे पर माननी यों का करारा तमाचा! पटरियों पर फेंका हुआ झूठा भोजन हो या किसी आलीशान पार्टी से कूड़े दान में फेंका गया धूल मिट्टी से सना खाना - इसे खाने वाले इस देश में लाखों- करोड़ों की संख्या में भूखे- नंगे हैं। चूंकि यह इंडिया है जहां आम आदमी को दो जून की रोटी के लिये कुछ यूं ही मशक्कत करनी पड़ती है लेकिन इन भूखे- नंगों की जिंदगी को संवारने का ठेका जिन हाथों में सौंपा गया ह,ै वे क्या कर रहे हैं? दिल्ली में मौजूद हमारी प्रजातांत्रिक व्यवस्था के चरम पर बैठकर इस भूखी- नंगी जनता को अंगूठा दिखा कर मुंह चिढ़ा रहे हैं। कल तक उन्हें इस जनता को दल दल से निकालने के लिये सोलह हजार रूपये मासिक दिया जाता था लेकिन अपनी हर बात मनवाने के काबिल इस वर्ग ने जनता की जेब पर ऐसा झपट्टा मारा कि इनकी जेब हर माह अब पचास हजार रूपये से भरने लगेगी। इसमें वह पैसा शामिल नहीं है जो इन्हें भत्तों और सुविधाओं के रूप में प्राप्त होगा। मंहगाई के बोझ से बुरी तरह दबी जनता को जब सांसदों की इस खुशख़बरी का पता चला तो उनका पहला सवाल था इन्हें वेतन की क्या जरूरत ? पहले से करोड़

भूखी नंगी जनता के चेहने पर तमाचा!

रायपुर शनिवार।दिनांक 21 अगस्त 2010 भूखी नंगी जनता के चेहने पर माननीयों का करारा तमाचा! पटरियों पर फेंका हुआ झूठा भोजन हो या किसी आलीशान पार्टी से कूड़े दान में फेंका गया धूल मिट्टी से सना खाना - इसे खाने वाले इस देश में लाखों- करोड़ों की संख्या में भूखे- नंगे हैं। चूंकि यह इंडिया है जहां आम आदमी को दो जून की रोटी के लिये कुछ यूं ही मशक्कत करनी पड़ती है लेकिन इन भूखें- नंगों की जिंदगी को संवारने का ठेका जिन हाथों में सौंपा गया ह,ै वे क्या कर रहे हैं? दिल्ली में मौजूद हमारी प्रजातांत्रिक व्यवस्था के चरम पर बैठकर इस भूखी- नंगी जनता को अंगूठा दिखाकर मुंह चिढ़ा रहे हैं। कल तक उन्हें इस जनता को दलदल से निकालने के लिये सोलह हजार रूपये मासिक दिया जाता था लेकिन अपनी हर बात मनवाने के काबिल इस वर्ग ने जनता की जेब पर ऐसा झपट्टा मारा कि इनकी जेब हर माह अब पचास हजार रूपये से भरने लगेगी। इसमें वह पैसा शामिल नहीं है जो इन्हें भत्तों और सुविधाओं के रूप मेंं प्राप्त होगा। मंहगाई के बोझ से बुरी तरह दबी जनता को जब सांसदों की इस खुशखबरी का पता चला तो उनका पहला सवाल था इन्हें वेतन की क्या जरूरत ? पहले से करोड़

अडियल कृषि मंत्री

रायपुर,शुक्रवार दिनांक 20 अगस्त 2010 अडियल कृषि मंत्री मर जायेंगे, मिट जायेंगे मगर अपनी ज़मीन खाली नहीं करेंगे -यह अब तक सुनते आ रहे हैं लेकिन अब सरकार की तरफ से जो कहा जा रहा है वह है-गोदामों में पड़ा अनाज भले ही सड़ जायें और गरीब मर जा ये, फिर भी हम उसे फ्री में नहीं बांटेंगे। भारत की सर्वाेच्च न्यायालय द्वारा देश के गोदामों में खचाखच भरे अनाज को ग़रीबों में मुफ्त बांटने के निर्देश के बाद केन्द्रीय कृषि मंत्री शरद पवार का यह बयान आया है। माननीय पवार जी सुप्रीम कोर्ट के निर्देश को सरकार के लिये कोई आदेश नहीं मानते और कहते हैं कि अनाज गोदामों में पड़ा- पड़ा सड़ जा ये, मगर सरकार इसे मुफ्त में नहीं बांटेगी। केन्द्र के गोदामों में 608.79 लाख टन अनाज इस समय ठूंस ठूंस कर भरा हुआ है, इसमें से कुछ तो सडऩे भी लगा है। सरकार को इमर्जेंसी के लिये एक जुलाई तक केन्द्रीय पूल में 269 लाख टन अनाज होना चाहिये था। ऊपर दिखाये गये आंकड़े यह स्पष्ट बताते हैं कि इतना अनाज भरकर रख लिया गया है कि वह मुफ्त में बाँटा जा ये तो भी लेने वाले कम पड़ सकते हैं । फिर यह अनाज ग़रीबों और मध्यमवर्ग के लोगों को मुफत नहीं तो कम

उबाऊ प्रजातांत्रिक व्यवस्था,

रायपुर शुक्रवार।दिनांक 20 अगस्त 2010 उबाऊ होती जा रही है वर्तमान प्रजातांत्रिक व्यवस्था,क्यों न हो डायरेक्ट इलेक्शन? हमारे जन प्रतिनिधि, उन्हें देखिये! वे क्या कर रहे हैं? नौकरशाह- उन्हें देखो वह करोड़ों का मालिक बन बैठा है, नेता, उसके पास कई पुश्तों को खिलाने लायक संपत्ति.. व्यापारी,उद्योगपति उसकी तिजोरियां कभी खाली होती ही नहीं। गुण्डागर्दी, चोरी,सीनाजोरी, आंतक और समय के प्रति गंभीरता का खात्मा जैसी बुराइयों ने संपूर्ण व्यवस्था को अपनी लपेट में ले लिया है। अभी दो रोज पहलेंं ही खबर आई कि राजनीतिक दलों की तिजोरियां इस समय पैसे से लबालब हैं। इसमें नम्बर एक पर केन्द्र में सरकार चला रही पार्टी -कांग्रेस है, जिसके खज़ाने में सर्वाधिक राशि जमा है। जबकि दूसरे नम्बर पर बहुजन समाज पाटीै। और पार्टियों भी पैसे एकत्रित कर अपना खजाना भरने में पीछे नहीं हैं। राजनीति का दूसरा अर्थ पैसा कमाना और अपने व अपने परिवार को इस लायक बनाना है कि कहीं किसी को कोई तकलीफ़ न हो। जब राजनीति के ये मायने हो गए तो स्वाभाविक है उसमें लिप्त लोग भी सिर्फ एक ही मकसद को लेकर आगे बढ़ रहे हैं। मसलन अपना व अपने परिवार को समृद्

पहुंच और रसूख के आगे बेबस इंसान!

रायपुर गुरूवार। दिनांक 19 अगस्त 2010 , पहुंच और रसूख के आगे बेबस होता जा रहा आम इंसान! उत्तर भारत के दो प्रमुख दो शहरों से पिछले दिनों आई दो खबरों ने आम आदमी को उद्वेलित कर यह सोचने के लिये विवश कर दिया कि वह आखिर जिये तो जिये कैसे? पहली खबर थी कि कुछ दबंगों ने, जिसमें कुछ नेता भी शामिल थे एक इंसान को खूब पीटा उसके बाद उसे जीप में बाँधकर घसीटा गया। इस इंसान के खून की स्याही सूखी भी नहीं थी कि एक अन्य खबर आई कि रसूखदार रईसजादियों ने प्रमुख मार्ग पर एक दूसरे से आगे निकलने के लिये कार रेसिंग की और सड़क पर चल रहे एक इंजीनियरिंग छात्र और उसके भाई को कुचल दिया। इंजीनियर तो घटनास्थल पर ही मौत के आगोश में समा गया लेकिन भाई को इस हालत में भर्ती किया गया जो पुलिस को घटना का पूरा बयान दे सकता है। घटना के बाद रईसजादी दुर्घटनाग्रस्त कार को छोड़कर अपनी सहेली की कार से भाग गई। पुलिस ने पता लगाया तो मालूम पड़ा कि यह कार एक कर्नल की थी तथा कार को उसकी लड़की चला रही थी। लड़की को गिरफतार करने की जगह उसको बचाने का सारा खेल शुरू हो गया। क्या कहते हैं आप ऐसी घटनाओं के बारे में? आपका उत्तर भी हम ही दे देते हैं- आ

हिंसा से शांति की ओर..

रायपुर,गुरूवार दिनांक 19 अगस्त 2010 हिंसा से शांति की ओर.. क्या माओवादी हिंसा छोड़कर मुख्य धारा से जुडेंगे? इस प्रश्न का उत्तर इतना आसान नहीं जितना हम समझते हैं। स्वतंत्रता दिवस पर राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल और प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह द्वारा राष्ट्र के नाम संबोधन में माओवादियों से हिंसा छोड़ बातचीत की अपील का प्रति साद अच्छा निकला है। माओवादी चाहते हैं कि रेल मंत्री और तृणमूल कांग्रेस की नेता ममता बनर्जी की मध्यस्थता में यह बातचीत हो। इस आधार पर नक्सलियों से बातचीत की पहल हो तो आश्चर्य नहीं। माओवादियों ने वार्ता की पहली शर्त के तौर पर तीन महीने के संघर्ष विराम का प्रस्ताव रखा है। अगर वार्ता होती है तो संघर्ष विराम के प्रस्ताव को मानने में सरकार को कोई परेशानी नहीं होगी। तृणमूल कांग्रेस की नेता ममता बनर्जी ने लाल गढ़ की रैली में माओवादियों की उस मांग का समर्थन किया था जिसमें उन्होंने माओवादी नेता आज़ाद की कथित फ़र्ज़ी मुठभेड़ में मौत की जांच की मांग की थी। ममता ने माओवादियों से हिंसा छोड़ शांति के साथ भारतीय संविधान के तहत प्रमुख धारा से जुड़ने की अपील भी की थी। नक्सली नेता किशनजी ने अब

हिंसा से शांति की ओर..

रायपुर,गुरूवार दिनांक 19 अगस्त 2010 हिंसा से शांति की ओर.. क्या माओवादी हिंसा छोड़कर मुख्य धारा से जुडेंगे? इस प्रश्न का उत्तर इतना आसान नहीं जितना हम समझते हैं। स्वतंत्रता दिवस पर राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल और प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह द्वारा राष्ट्र के नाम संबोधन मेें माओवादियों से हिंसा छोड़ बातचीत की अपील का प्रतिसाद अच्छा निकला है। माओवादी चाहते हैं कि रेल मंत्री और तृणमूल कांग्रेस की नेता ममता बेनर्जी की मध्यस्थता में यह बातचीत हो। इस आधार पर नक्सलियों से बातचीत की पहल हो तो आश्चर्य नहीं। माओवादियों ने वार्ता की पहली शर्त के तौर पर तीन महीने के संघर्ष विराम का प्रस्ताव रखा है। अगर वार्ता होती है तो संघर्ष विराम के प्रस्ताव को मानने में सरकार को कोई परेशानी नहीं होगी। तृणमूल कांग्रेस की नेता ममता बेनर्जी ने लालगढ़ की रैली में माओवादियोंं की उस मांग का समर्थन किया था जिसमेंं उन्होंने माओवादी नेता आजाद की कथित फर्जी मुठभेड़ में मौत की जांच की मांग की थी। ममता ने माओवादियों से हिंसा छोड़ शांति के साथ भारतीय संविधान के तहत प्रमुख धारा से जुडऩे की अपील भी की थी। नक्सली नेता किशनजी ने अब स

गेंगरेप

अब भी मौजूद हैं रायपुर में जिस्म को नोंच खाने वाले दरिन्दे रायपुर शनिवार 8 मई 2010 छै दरिन्दो ने क्रूरता से एक युवती की इज्जत रौंदकर उसे मौत के घाट उतार दिया और रायपुर पुलिस सोती रही। एक महीने बाद उसका सुराग लगा तो अब बताया जा रहा है कि उसके साथ गैंग रेप हुआ। इस मामले में न मानव अधिकार के प्रणेताओ ने कुछ बोलना उचित समझा और न ही हर छोटे मोटे मामले में बढ चढ़कर बोलने वाली महिलाओं की हित रक्षक संस्था ने। अब इस युवती को विक्षिप्त बताकर सारे मामले को रफा दफा करने का प्रयास किया जा रहा है। घटना पर एक नजर डाले तो इस मामले की वीभत्सता और रायपुर में मौजूद दरिन्दों की दरिन्दगी का खुलासा होता है-घटना कम से कम एक माह पुरानी है जैसा पुलिस का अनुमान है- युवती धमतरी से रायपुर के मोतीबाग क्षेत्र में आयोजित एक धार्मिक कार्यक्रम में भाग लेने अपने किसी साथी युवक के साथ आई थी। उसने तो उसके साथ रेप किया ही साथ ही उसके और पांच साथियों ने भी उसको नहीं छोड़ा। गैंग रेप की असहनीय पीड़ा से इस युवती ने थोड़ी ही देर में प्राण त्याग दिये। नौ अप्रैल को पुलिस ने लावारिस हालत में उसकी लाश को बरमद किया। एक दूसरा पक्ष यह

सजा-ए मौत

शुक्रवार दिनांक 7 मई 2010 सजा-ए मौत फांसी पर लटकाना भी तो इतना आसान नहीं जहां तक हमारी जानकारी है देश में आखिरी फांसी कोलकत्ता में धनजंय को लगी थी जिसपर एक युवती से बलात्कार के बाद उसकी हत्या का आरोप था। उसे फांसी देने के लिये जल्लाद को बामुश्किल तैयार किया गया तत्श्चात उसने ऐलान कर दिया कि यह उसकी आखिरी फांसी है इसके बाद वह किसी को फांसी नहीं देगा। ऐसा नहंीं कि धनंजय की फांसी के बाद देश में अदालतों ने भी फांसी का निर्णय देना बंद कर दिया। 2009 दिसंबर को लोकसभा में गृह राज्य मंत्री मुल्लापल्ली रामचंन्द्रन द्वारा दी गई सूचना के अनुसार पूरे देश में 31 दिसंबर 2007 तक तीन सौ आठ लोग अदालतों से क्लियरेंस पाकर फंदे का इंताजार कर रहे थे। अब तक यह संख्या और बढ़ गई हो सकती है चूंकि इस अवधि में कई दोषियों को फांसी की सजा सुनाई जा चुकी है। हम यह बात हाल ही कसाब को दी गई फांसी के संदर्भ मेें बता रहे हैं। हालाकि मुम्बई के इस आंतकवादी को विशेष अदालत ने फांसी की सजा सुना दी है औैर लोग खुश भी हो रहे हैं कि इस दरिन्दे को फंासी की सजा हुई मगर फांसी की लम्बी सूची देखकर हम कह सकते हैं कि कसाब को इतनी आसान

लालगढ़ की लाली से श्वेत कबूतर पकडऩे

रायपुर मंगलवार। दिनांक 8 अगस्त 2010 एम.ए. जोसेफ लालगढ़ की लाली से श्वेत कबूतर पकडऩे ममता का प्रयास या कुछ ओर... सोमवार को पश्चिम बंगाल के लालगढ़ में आयोजित तृणमूल कांग्रेस की रैली को किस नजरिये से देखा जाये? क्या यह देश की राजनीति में एक नया समीकरण है या यूं ही आमतौर पर होने वाली एक रैली? इस रैली का राजनीतिक पहलू यह है कि रेल मंत्री और तृणमूल कांग्रेस की नेता श्रीमती ममता बेनर्जी ने पहली बार माओवादी अथवा नक्सलियों की हिमाकत की व उन्हें इस रैली में शामिल किया। इसे एक उपलब्धि ही माना जा सकता है शायद कांग्रेस ने यही देखकर ममता का समर्थन किया है। नक्सली हिंसा का जहां तक सवाल है वह एक तरफ है तथा निंदन है लेकिन अब तक सरकार के सारे शांति प्रयासों को ठुकरा चुके नक्सलियों अथवा माओवादियों को एक मंच पर लाने व उन्हें सही राह पर लाने का प्रयास ममता ने किया तो कहीं इसमें गलती नजर नहीं आ रही प् इसमें उनका राजनीतिक मकसद हो सकता है लेकि न अब तक जो विफल प्रयास सरकार करती रही है उसमें यदि यह एक मील का पत्थर बन रहा है तो क्या बुराई है। ममता ने रैली में नक्सलियों का समर्थन किया है किन्तु उन्होनें

षडय़ंत्र, शांति प्रस्ताव और कानून

रायपुर, शुक्रवार, दिनांक 13 अगस्त 2010 षडयंत्र, शांति प्रस्ताव और कानून में बदलाव- मौजूद है हर जगह खोट! अंडरवल्ड डॉन छोटा शकील की नक्सलियों से रिश्ता कायम करने की कोशिश, दूसरी खबर पुलिस को अब किसी व्यक्ति को गिरफ़्तार करने या न करने के लिये इसकी वजह बतानी होगी तथा स्वामी अग्रिवेश नक्सलियों को नेताओं से मिलाने की प्रक्रिया में बहुत हद तक कामयाब हो गये। इन तीनों खबरों में कहीं आशा है तो कहीं भय तो कहीं खुशी। जहां तक अडंरवल्ड डॉन का सवाल है,ऐसा लगता है इस व्यक्ति ने देश को तबाह करने का बीड़ा उठा लिया है। हाल ही कर्नाटक,आंध्रप्रदेश में पकड़े गये छह नक्सलियों ने रहस्योद्धाटन किया है कि उन्हें अंडरवल्ड की तरफ से भारत में अशांति फैलाने के लिये पच्चीस लाख रूपये दिये गये थे। यह नक्सली दुबई में अडंरवल्ड के लोगों से मुलाकात करने जाने से पहले ही हवाई अड्डे पर धर लिये गये। इसे भारतीय खुफ़िया एजेंसी की सफलता ही कहा जाना चाहिये कि उसने समय रहते इन्हें दबोच लिया वरना क्या होता... इसका अंदाज़ लगाया जा सकता है। इस गिरफ्तारी से नक्सलियों की आतंकवादी संगठनों से सांठगांठ के अंदाज़ की एक तरह से पुष्टि हो गई।

डाक्टरों पर शिकंजा!

डॉक्टरों पर शिकंजा! मरीज़ों के परिवार को शीघ्र ही सरकार की तरफ से एक बहुत बड़ा तोहफ़ा मिलने जा रहा है। भविष्य में उन्हे अपने परिजनों के इलाज के लिये डॉक्टरों को मनमानी फ़ीस नहीं देनी पड़ेगी। सरकार यह तय करने जा रही है कि किस अॉपरेशन के लिये कितनी फ़ीस ज्यादा से ज्यादा ली जानी चाहिये। अगर किसी आदमी का गुर्दा बदलने के लिये या कोई कैंसर के इलाज के लिये दो लाख की जगह दस या पन्द्रह लाख रूपये मांगता है, तो यह अब नहीं चलेगा। अगर सरकार ने तय किया कि इस अॉपरेशन के लिये सिर्फ दो या पांच लाख रूपये ही लगेंगे तो मरीज़ो परिवार से चिकित्सक उससे ज्यादा की मांग नहीं कर सके गा। केन्द्र सरकार देश के सभी निजी अस्पतालों में अॉपरेशन और उपचार के लिये एक समान फीस तय करने जा रही है। डॉक्टरों की फ़ीस तय करने के लिये मेडिकल ट्रीटमेंट स्टैंडर्ड प्रोटोकॉल नाम से दिशा- निर्देश जारी किये जायेंगे। इसके बाद इस नियम का पालन सभी चिकित्सकों को करना होगा। डॉक्टरों की फ़ीस पर पिछले कई वर्षाे से बहस चली आ रही है,इसकी विभिन्नता ने हर आदमी को परेशान कर रखा है। सरकारी अस्पतालों की मनमानी और अव्यवस्था से तंग लोग निजी अस्पतालों की

कौन कर रहा है हमारी स्वतंत्रता का हनन?

रायपुर, बुधवार, दिनांक 11 अगस्त 2010 राजा महाराजाओं की तरह एक वर्ग का क़ब्ज़ा है हमारी स्वतंत्रता पर ! उनके घरों में आपकी जेब से निकलने वाले पैसे से झाड़ू लगता है, उनके यहां का हर काम ठाठ- बाट से चलता है, यहां तक कि उनके बच्चों को गेाद में उठाकर खिलाने के लिये भी हमारे ही लोग लगे रहते हैं। और तो और जब उनकी सवारी लाल- पीली बत्ती लगकर सड़कों पर से निकलती हैं, तब हमें किसी कोने में खड़े रहना पड़ता है। ठीक वैसे ही जैसे राजा महाराजाओं के जमाने में उनकी सवारी निकला करती थी- अब से मात्र चार दिनों बाद हम भारत के स्वतंत्रता की त्रेसठवीं साल गिरह मनाने जा रहे हैं लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या हम वाक़ई स्वतंत्र हैं? क्या हमें देश के अपने लोगों ने ही गुलामी के बंधन में नहीं जकड़ रखा है? क्या हम यह महसूस नहीं करते कि देश में हमारे से भी बड़ा एक बहुत प्रभावशाली वर्ग विकसित हो गया हैं। जो न केवल हमारे संवैधानिक अधिकारों का हनन कर रहा है बल्कि हमारे और हमारे बच्चों की ख़ुशियों को भी छीन रहा है? नौकरशाहों और राजनेताओं के इस वर्ग ने समाज को दो वर्गाे में बांटकर रख दिया है। सारे एशो- आराम का तो जैसे उन्होंने

सीबीआई के पर कटे!

रायपुर दिनांक 10 अगस्त 2010 सीबीआई के पर कटे! कुछ दिन पहले ही प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह ने यह कहा था कि सीबीआई को कांग्रेस जांच ब्यूरो न समझा जा ये। यह बयान उन्होंने अमित शाह मामले में सीबीआई के कथित दुरुपयोग के आरोप के बाद कहा था । इस बयान को अभी कुछ ही समय बीता होगा कि सरकार ने सीबीआई के संबंध में एक अहम निर्णय लेकर सभी को चैका दिया। सरकार ने निर्णय लिया है कि सीबीआई से दो महत्वपूर्ण अधिकार छीन लिये जायें। इसमें एक आतंकवादियों को आर्थिक मदद और दूसरा देश में जाली नोटों की सप्लाई का मामला है। इन दोनों ही मामलों मे सीबीआई को कोई सफलता हाथ नहीं लगी। इन मामलों की जांच का काम अब गृह मंत्रालय से सबंन्ध राष्ट्रीय जांच एजेंसी एनआईए को सौंपा गया है। इससे यह बात साबित हो रही हैं कि सरकार की नजर मे अब सीबीआई से बेहतर काम एनआईए कर रही है। आतंकवादियों को आर्थिक मदद का मामला जटिल है यह काम सीबीआई जैसी एजेंसी ही कर सकती थी लेकिन सीबीआई ने न इस काम कों पूरा किया बल्कि जाली नोटों की जांच का मामला भी सुस्त रहा। क्या हमारी यह एजेंसी अब इतनी सुस्त व निकम्मी हो गई है कि देश की आंतरिक सुरक्षा जैसे मामलो

लालगढ़ की लाली से श्वेत कबूतर...

रायपुर मंगलवार। दिनांक 10 अगस्त 2010 लाल गढ़ की लाली से श्वेत कबूतर पकड़ने ममता का प्रयास या कुछ ओर... सोमवार को पश्चिम बंगाल के लाल गढ़ में आयोजित तृणमूल कांग्रेस की रैली को किस नज़रिये से देखा जा ये? क्या यह देश की राजनीति में एक नया समीकरण है या यूं ही आमतौर पर होने वाली एक रैली? इस रैली का राजनीतिक पहलू यह है कि रेल मंत्री और तृणमूल कांग्रेस की नेता श्रीमती ममता बनर्जी ने पहली बार माओवादी अथवा नक्सलियों की हिमाकत की व उन्हें इस रैली में शामिल किया। इसे एक उपलब्धि ही माना जा सकता है शायद कांग्रेस ने यही देखकर ममता का समर्थन किया है। नक्सली हिंसा का जहां तक सवाल है वह एक तरफ है तथा निंदनीय है लेकिन अब तक सरकार के सारे शांति प्रयासों को ठुकरा चुके नक्सलियों अथवा माओवादियों को एक मंच पर लाने व उन्हें सही राह पर लाने का प्रयास ममता ने किया तो कहीं इसमें गलती नजर नहीं आ रही, इसके पीछे उनका राजनीतिक मकसद हो सकता है लेकि न अब तक जो विफल प्रयास सरकार करती रही है उसमें यदि यह एक मील का पत्थर बन रहा है तो क्या बुराई है? ममता ने रैली में नक्सलियों का समर्थन किया है किन्तु उन्होनें उनकी हिंसा क

मज़दूर क्यों हैं मजबूर?

रायपुर सोमवार। दिनांक 9 अगस्त 2010 मज़दूर क्यों हैं मजबूर? राज्य बनने के बाद भी छत्तीसगढ़ के मज़दूर बाहर दूसरे प्रांतों में जाकर काम करने के लिये क्यों मजबूर हैं? वे कौन लोग हैं जो मज़दूरों को बहकाकर दूसरे प्रांतों में ले जाते हैं और बंधक बनाकर उनसे काम कराते हैं। सरकार की ढेर सारी योजनाओं के बाद भी ऐसी परिस्थितियां क्यों निर्मित हो रही है? इन सब सवालों का शायद यही जवाब है कि यहां मिलने वाली मजदूरी से कई गुना ज्यादा मजदूरी का लालच इन मज़दूरों को दिया जाता है जिसके चलते वे यहां से पलायन कर जाते हैं। लेह में बादल फटने के बाद आई बाढ के ताण्डव में छत्तीसगढ़ के आठ श्रमिकों की मौत ने सरकार की श्रमिकों के हित में शुरू की गई सारी योजनाओं की पोल खोलकर रख दी है। हमेशा यह कहा जाता रहा है कि छत्तीसगढ़ से जो पलायन होता है वह गर्मी के दिनों में होता है, जब मजदूरों को काम मिलना मुश्किल होता है। इस दौरान वे दूसरे राज्यों में जाकर मजदूरी करने के बाद बारिश शुरू होते ही अपने गांव वापस आ जाते हैं। इस प्रक्रिया को मान सकते हैं कि उनका निर्णय इस मामले में सही है कि गर्मी में कहीं कुछ काम कर दो पैसे कमा कर घर आ

जूता है महान...बड़े बडों को इसने

रायपुर सोमवार, दिनांक 9 अगस्त 2010 जूता है महान...बड़े बड़ों को इसने शोहरत दिलाई...और अब... जूते का आविष्कार जिस महान ने भी किया उसने कभी कल्पना भी नहीं की होगी कि लोगों के पैरों के लिये बनाया गया जूता किसी दिन इतना महान हो जायेगा कि वह बड़े से बड़े नेताओं के ऊपर बरसेगा। चाहे वह पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी हो या भारत के गृह मंत्री पी चिदंबरम अथवा अमरीका के पूर्व शक्तिशाली राष्ट्रपति जार्ज डब्ल्यू बुश यह अब उन महान नेताओं में शुमार हो गये हैं, जिन्हें जूते खाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ,और भी कितने नेता जूता खा चुके होंगे इसका रिकार्ड नहीं लेकिन कई ऐसे भी हैं जिन्होंने कभी न कभी किसी से चप्पल या जूता जरूर खाया होगा। नेता कैसे महान बनता है, यह जूता खाने के बाद ही पता चलता है। जूता खाने के बाद नेता तो सुर्खियों मे आ ही जाते हैं मारने वाला तो उससे भी बड़ा बन जाता है। जूता न केवल नेताओं पर ही बरसा है वरन् कई जजो को भी इसे खाने का शुभ अवसर मिला है इसलिये अब कोई यह कह भी दे कि तू यार जूते खाने का काम कर रहा है तो उसे इसका बुरा नहीं लगता -वह यह सोचता है कि क्या मैं बुश चिदंबरम या जरदारी स

छत्तीसगढ़ के आपराधिक बाजार में

रायपुर रविवार। दिनांक 8 अगस्त 2010 छत्तीसगढ़ के आपराधिक बाजार में पक रहे हैं कई प्रकार के व्यंजन! छत्तीसगढ़ का आपराधिक बाजार इन दिनों विभिन्न किस्म के आपराधिक व्यंजनों से भरा पड़ा हैं यहां आपकों हर किस्म के व्यंजन बिना पैसे दिये मिल जायेंगे हां आपने खुद अपनी सुरक्षा कर ली तो यह आपका भाग्य वरना खुद तो लुट जाओगे पूरे परिवार को भी मुसीबत में डाल दोगें। इस बाजार में आपकों सड़क पर चलते चलते ही कोई ऐसा मिल जायेगा जो आपके गले से चैन छीन ले,हाथ में रखा रूपयों से भरा बैग छीन ले। घर में ताला लगाकर कहीं गये तो कोई भी मेटाडोर लेकर आयेगा पूरे घर के सामान पार कर लेगा। अगर नई नवेली घर आई है और दहेज में पैसे कम लाई है तो उसको पूरे घर के लोग घेर लेंगे तथा उसकी ऐसी धुनाई करेंगे कि वह इस जन्म को कोसने लगेगी फिर या तो खुद जलकर मर जायेगी या मार दी जायेगी अथवा मारकर फांसी पर लटका दी जायेगी।...और तो और यहां कुछ क्षेत्रों में सामाजिक व्यवस्था और रिश्तो ं का भी खून होने लगा है। कभी ससुर अपनी बहू के साथ रेप कर बैठता है तो कभी भाभी के साथ देवर। इसके अलावा भी कई पकवान यहां रिश्तो को तार तार कर पक रहे हैं जिनमें ब

प्रकृति का कोप

रायपुर रविवार, दिनांक 8 अगस्त 2010 प्रकृति का कोप हम अगर अपने सर पर ज्यादा बोझ ढोते हैं तो क्या होता है- या तो हमारी कमर झुक जायेगी या फिर हम बैठ जायेगें। इस सिद्वान्त से सभी परिचित है अब तक की वैज्ञानिक सोच की माने तो धरती के साथ भी कुछ ऐसा ही है जो एक धुरी पर टिकी हुई है। अगर यह धुरी टूट गई तो धरती का नामों निशान मिट जायेगा। अर्थ शास्त्र में माल्थस थ्योरी आफ पापुलेशन कुछ इसी सिद्वान्त पर आधारित है। जब जब धरती पर बोझ बढ़ता है वह ऐसी प्राकृतिक आपदाएं खड़ी कर देता है जिससे पृथ्वी का संतुलन बनाये रहे। मानव उस संतुलन को कायम करने के बारे में सोचता ही नहीं जबकि पृथ्वी को उसके अस्तित्व की ङ्क्षचता रहती है इसलिये वह कभी तूफान के रूप में तो कभी बाढ़ के रूप में तो कभी भूकंप के रूप में और कभी सुनामी के रूप में आपदाओं को जन्म देता है। बोझ को कम करने के लिये कई प्रकार की संपति तथा कइयों की जान चली जाती है। धरती के स्वर्ग के रूप में लेह और केरल दो क्षेत्र भारत में हैं जहां का प्राकृतिक सौंदर्य देखते ही बनता है लेकिन लेह को इस बार प्रकृति के कोप का भाजन बनना पड़ा है। हजारों या लाखों लोग यहां बादल फटने

करना उन्हैं हैं, कह हमसे रहे हैं!

रायपुर, शुक्रवार । दिनांक 7 अगस्त 2010। सरकार हमसे कह रही है यह होना चाहिये लेकिन करना तो उन्हें ही है! दो ख़बरें आज शिक्षकों संबंधित दिखाई दी। एक यह कि छत्तीसगढ़ के शिक्षकों को भी गुजरात और महाराष्ट्र के शिक्षकों की तरह कोड़ नम्बर दिये जायेंगें तथा स्कूलों को कम्पयूटर से जोडा जायेगा अर्थात एक पूरा नेट वर्क तैयार किया जायेगा। दूसरी खबर केन्द्र से है, सरकार का कहना है कि पूरे देश में इस समय बारह लाख शिक्षकों की कमी है। क पिल सिब्बल ने यह बात लोकसभा में कही है। शिक्षा मंत्री के अनुसार देश में शिक्षकों की कमी का एक कारण बीएड शिक्षा प्राप्त युवकों का अभाव है जिसके कारण शिक्षको की भर्ती नहीं हो पा रही है। हम पूछना चाहते हैं सरकार से कि यह किसकी गलती है? भारत आजाद होने के बाद शुरू शुरू में शिक्षा और बुनियादी प्रशिक्षण महाविद्यालयों अर्थात पीजीबीटी कॉलेज को जितना महत्व दिया गया, उतना उसके बाद के वर्षा में क्यों नहीं दिया गया? इसके पीछे कारण क्या है? और कौन इसके लिये जिम्मेदार हैं! जब हम स्कूलों में पड़ते थे तब स्कूलों में प्रशिक्षु शिक्षक आया करते थे और वे हमें अपने कई प्रायोगिक कार्य सिखाया कर

कैसे बन रहे हैं अफसर,कर्मी

रायपुर शुक्रवार। दिनांक 6 अगस्त 2010 कैसे बन रहे हैं अफ़सर,कर्मी अकूट संपति के मालिक? पन्द्रह से बीस हजार की तनखाह...और आलीशान जिंदगी! क्या मौज़ है हमारे नौकरशाहों के! जिनके हाथ में देश को संवारने का ठेका है वे खुद अपना घर भरने में लगे हैं। पीडब्लूडी का सब इंजीनियर हो या वन विभाग का रेंजर अथवा तहसील से संबंधित पटवारी यह सरकार के वे अंग हैं जो विभागों में अवैध रूप से संपत्ति अर्जन के क्षेत्र में छोटी मछली के रूप में जाने जाते हैं लेकिन इनके घरों की शान देखिये यह किसी राजा महाराजाओं से कम नहीं हैं। जब विभागों की इतनी छोटी मछलियों का यह हाल है तो कल्पना की जा सकती है कि इनसे बड़ी मछलियों का क्या हाल होगा। पूर्व में पड़े आर्थिक व आय कर के छापों में यह प्रायरू सिद्व हो चुका है कि देश में कतिपय अफसरों व कर्मचारियों के घरों में अकूट बेनामी संपत्ति भरी पड़ी है। बे हिसाब संपत्ति के मालिक बन बैठे अफसरों व कर्मचारियों में से बहुत कम ही सपड़ में आते हैं वह भी जब उनकी तड़क भड़क से लोगों को शंका होने लगे तथा उनके दुश्मन इस अकूत संपत्ति के बारे में शिकायत करें वरना आज भी ऐसी कई छोटी बड़ी बिल्लियां है जो आँख

कामन वेल्थ गेम्स

रायपुर शुक्रवार, दिनांक 6 अगस्त 2010 कामन वेल्थ गेम्स अब कामनवेल्थ गेम्स भगवान भरोसे हैं। यह हम नहीं भारत के खेल मंत्री एम.एस.गिल संसद में बयान दे रहे हैं। सारा विश्व जान गया कि हम इन खेलों में विश्वभर से आने वाले मेहमानों की अगवानी कैसे करने वाले हैं। यह तो अच्छा हुआ कि बारिश से पहले ही सारी पोल खुल गई वरना उस समय बारिश होती तो हम कहीं के नहीं रह जाते। अभी जो पोल खुली है उसकी लीपा पोती संभव है किन्तु आयोजनों से पूर्व जो घपले और भ्रष्टाचार की पोल खुली है उसने संपूर्ण विश्व का ध्यान भारत में व्याप्त अव्यवस्थाओं की ओर खीच लिया है। कामनवेल्थ गैम्स आयोजन समिति के चार बड़े पदाधिकारियों को ऐन समय में हटाकर समिति ने यह बताने का प्रयास किया है कि वह आगे कुछ करके दिखायेगी लेकिन जिस ढंग से भ्रष्टाचार और मनमानी हुई है उसे आसानी से पाटना भी तो संभव नहीं है। समिति के अध्यक्ष सुरेश कलमाड़ी इस पूरे मामले में अपने को बचाने का प्रयास जरूर कर रहे हैं किन्तु वे और ज्यादा घिरते प्रतीत हो रहे हैं। भारत में कामनवेल्न्थ गैम्स के आयोजन का फैसला जब लिया गया तो भारत की जनता को इसपर गर्व था कि इससे उसका नाम ऊ ंचा

कानूनी उलझन, पीडित को अपराधी

रायपुर दिनांक 5 अगस्त 2010 कानूनी उलझन, पीडित को अपराधी की धमकी से कौन बचायें? कानून उस स्थिति में क्या करें जब कोई मुलजिम किसी पीड़ित को हिरासत से वापस लौटने के बाद देख लेेने या जान से मार देने की धमकी देता है? हर आदमी के पीछे तो पुलिस लगाई नहीं जा सकती और हर आदमी को सुरक्षा प्रदान भी नहीं की जा सकती. ऐसे में पीड़ित क्या करें? अक्सर होता यह है कि लोग दादा किस्म के लोगों को गिरफतार तो करवा देते हैं किन्तु जब पुलिस उन्हें गिरफतार कर ले जाती है तो वे पुलिस के सामने ही चमकाते हुए कहते हैं -ठीक है अभी तूने मुझे पकड़वा दिया, कल छूटकर आने दे तब तुझे और तेरे सारे परिवार को देख लूंगा. यह देख लूंगा पूरे परिवार को ही दहशत में डाल देता है. उसे मानसिक रूप से इतनी प्रताडऩा मिलती है कि वह उसे सहन नहीं कर पाता. क्या यह सब हमारे कानून के लचीलेपन के कारण नहीं होता? देश भर में ऐसे बहुत से मामले सामने आये हैं जिसमे अपराधियों ने हिरासत में लेने अथवा गिरफतारी के तुरन्त बाद संबन्धित व्यक्ति को यह कहते हुए सुना है कि छूटकर आते ही तुझे देख लूंगा. कुछ ने अपनी इस कथनी को अंजाम भी दिया है। तत्काल पुलिस द्वारा इ

अंतहीन समस्याएं!

रायपुर गुरूवार, दिनांक 5 अगस्त 2010 अंतहीन समस्याएं! देश के अंदरूनी हालात भारत की विकास संभावनाओं पर घीरे धीरे बे्रक लगा रही है। कुछ समस्याएं अस्थाई न होकर स्थाई बन गई है जिससे यहां सरकार का पूरा ध्यान इन समस्याओं पर केन्द्रित होकर रह गया है। इन्हें हल करने की दिशा में उसका प्रयास नगण्य है फलस्वरूप यह समस्याएं और गंभीर होती जा रही हैं, इसमें चाहे छत्तीसगढ़ सहित कम से कम देश के ग्यारह राज्यों में फैलते नक्सलवाद की समस्या हो चाहे कश्मीर में हत्याओं के बाद उत्पन्न होने वाला विवाद या आंतकवाद अथवा उल्फा की असम में विध्वसंक कार्यवाहियां। इन सबने धीरे धीरे समस्याओं को गहन कर दिया है, इन सबके पीछे अगर कारण देखा जाये तो सरकारो की इन मामलों को निपटाने में ढिलाई और विपक्ष का गंभीर मसलों को छोड़ अन्य बेफालतू मुद्दो को लेकर संसद व सड़क पर हंगामा है। स्थाई समस्याओं के अलाव सरकार अस्थाई समस्याओं के प्रति भी लापरवाह है। अब जैसे तेलांगाना प्रांत का मामला। छोटे राज्यों में काम अच्छा हो रहा है। हाल के वर्षाे में बने छत्तीसगढ़, उत्तराखंड, झारखंड ने अपनी पहचान बना ली है फिर चाहे वह तेलंगाना हो या विदर्भ उन्हे