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उनका लक्ष्य है हिंसा से 'सत्ता, इनका तो कोई लक्ष्य ही नहीं!

रायपुर दिनांक 29 दिसंबर 2010 उनका लक्ष्य है हिंसा से 'सत्ता, इनका तो कोई लक्ष्य ही नहीं! ट्रेन का अपहरण, ट्रेन को पलटाकर कई लोगों की हत्या, सैकड़ों निर्दोष लोगों की गला रेतकर हत्या, देश के कई नवजवानों का खून बहाने, तथा करोड़ों रूपये की संपत्ति को फूं क देने के बाद भी अगर कोई सरकार सिर्फ कार्रवाही का भरोसा दिखाकर जनता को तसल्ली दे तो इसे क्या कहा जाये? वर्ष दो हजार दस अब खत्म होने को है और इस वर्ष में जिस तेजी से पूरे देश में नक्सलवाद ने अपने पैर जमाये हैं वह प्रजातंत्र पर विश्वास करने वालों के लिये एक कठोर चेतावनी है कि अब भी अगर वे नहीं चेते तो आने वाले वर्षो में उन्हें माओवाद को झेलना पड़ेगा। नक्सली सन् 2050 का टारगेट लेकर चल रहे हैं- उनका मानना है कि वे उस समय सत्ता पर काबिज हो जायेंगे लेकिन हमारी सरकार के पास ऐसा कोई लक्ष्य नहीं है कि नक्सलियों के वर्तमान आतंक और तोडफ़ोड़ से कैसे निपटा जाये। प्राय: हर रोज किसी न किसी का खून बहता है तो दूसरी ओर करोडा़ रूपये की संपत्ति स्वाहा होती है। अभी दो रोज से लगातार बस्तर में ट्रेनों को पटरी से उतारकर देश का करोड़ों रूपये का नुकसान किया ह

प्याज के आंसू की दरिया बह रही है और सरकार को शर्म नहीं!

रायपुर मंगलवार दिनांक 28 दिसंबर प्याज के आंसू की दरिया बह रही है और सरकार को शर्म नहीं! टमाटर लाल, प्याज ने निकाले आंसू, गैस में लगी है आग- ऐसे शीर्षकों से अखबार भरें पड़े हैं फिर भी हमारी सरकार को शर्म नहीं आ रही। कृषि मंत्री शरद पवार बेशर्मी से कहते हैं-प्याज के लिये अभी और रोना पड़ेगा- वे यह नहीं कहते कि स्थिति शीघ्र नियंत्रण में आ जायेगी। हर बार कृषि मंत्री एक भविष्य वक्ता की तरह कभी गन्ने के भाव बढऩे की तो कभी शक्कर के भाव तो कभी दालों के भाव बढने की बात कहकर कालाबाजारियों व जमाखोरों को मौका देते हैं। प्याज के मामले में गैर जिम्मेदाराना बयान के बाद प्रधानमंत्री को स्वंय संज्ञान लेना पड़ा तब कहीं जाकर विदेशों विशेषकर पाकिस्तान से प्याज पहुंचा और बाजार की स्थिति में थोड़ा बहुत सुधार आया किंतु यह सारी स्थिति एक तरह से उस समय पैदा होती है जब सत्ता में बैठे लोग गैर जिम्मेदाराना बयान देते हैं। यह भी समझ के बाहर है कि जिसे व्यवस्था करनी है वह व्यवस्था करने की जगह कमी और परेशानी का राग अलापकर सात्वना देता है या अपनी विवशता पर मरहम पट्टी लगाने का काम करता है। आज सामान्य व्यक्ति के लिये

कौन जीता, कौन हारा से ज्यादा महत्वपूर्ण रही दलों की प्रतिष्ठा!

रायपुर दिनांक 27 दिसंबर कौन जीता, कौन हारा से ज्यादा महत्वपूर्ण रही दलों की प्रतिष्ठा! उप चुनाव व नगर निकाय चुनावों में बहुत हद तक सत्तारूढ पार्टी की साख का पता चल जाता है कि उसकी नीतियां व कार्यक्रमों को किस हद तक जनता पसंद करती हैं। हाल ही संपन्न निकाय चुनावों में नीतियां और कार्यक्रमों की जगह 'प्रतिष्ठाÓ ज्यादा महत्वपूर्ण रही चूंकि चुनाव का सारा दारोमदार ही सीटों पर कब्जा जमाना था। हालाकि इन चुनावों में तेरह मे से आठ पर कब्जा कर भाजपा ने अपनी साख तो कायम रखी किंतु प्रतिष्ठापूर्ण लड़ाई के चलते चुनावों में पराजय से पार्टी व सरकार को धक्का लगा है। तेरह नगर पंचायतों और नगर पालिकाओं के चुनाव में से अगर पार्टी बेस बहुमत देखे तो भाजपा ही आगे रही, उसने आठ पर कब्जा जमाया है तो शेष पर कांग्रेस को सफलता मिली वैसे इससे भाजपा गदगद हो सकती है लेकिन उसके लिये आठ सीटों पर कब्जा करना उतना मायने नहीं रखता जितना प्रतिष्ठापूर्ण सीटों को गंवाना। एक सीट निर्दलीय के हाथ भी लगी है।बैकुंठपुर में तो कमाल ही हो गया जहां निर्दलीय प्रत्याशी ने कांग्रेस की जमानत जब्त कर भाजपा को भी शिकस्त दे पालिका पर कब्

छेडछाड़ करने वाला अधमरा,रोकने वाले को पीट पीटकर मार डाला!

रायपुर दिनांक 26 दिसंबर 2010 छेडछाड़ करने वाला अधमरा,रोकने वाले को पीट पीटकर मार डाला! छेड़छाड़ करने वालों के साथ क्या सलूक किया जाये? क्या वही जो छत्तीसगढ़ में रायपुर के जलविहार कालोनी के एक परिवार ने किया जिसमें एक स्कूली बच्ची के साथ छेड़छाड़ करने वाले को एक बार मना करने के बाद भी नहीं माना तो पीट पीट पीटकर अधमरा कर दिया। दूसरी घटना बलौदाबाजार के पलारी की है जिसमें एक शिक्षक को सिर्फ इसलिये पीट पीटकर मार डाला चूंकि उसने छेडख़ानी का विरोध किया था। अब बताइये कौन आज के जमाने में किसी की मदद के लिये तैयार होगा? मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह ने इस घटना के बाद छेड़छाड़ करने वालों के खिलाफ सख्त कदम उठाने का आदेश पुलिस को दिया है। पुलिस इस आदेश के परिप्रेक्ष्य में मजनुओं के खिलाफ क्या कार्रवाई करती है यह आने वाला समय बतायेगा लेकिन पलारी की घटना के बाद यह प्रश्न खड़ा हो गया है कि किसी की परेशानियों में हम कितना भागीदार बन सकते हैं? शिक्षक वाली घटना के संदर्भ में सड़क पर किसी के साथ छीना झपटी, लूट, छेडख़ानी या कोई दुर्घटना में घायल व्यक्ति भी पड़ा है तो उसे उठाकर न अस्पताल पहुंचाया जा सकता है और न

कांग्रेस में बुजुर्गो के दिन लदें! युवा कंधे पर आयेगा भार?

रायपुर बुधवार दिनांक 23 दिसंबर 2010 कांग्रेस में बुजुर्गो के दिन लदें! युवा कंधे पर आयेगा भार? कांगे्रस ने अपने युवराज राहुल गांधी के ताजपोशी की तैयारियां शुरू कर दी है। हाल ही बीता कांग्रेस का अधिवेशन इस बात का गवाह हो गया कि निकट भविष्य में राहुल गांधी को ही आगे कर संपूर्ण राजनीति का ताना बाना बुना जायेगा। इस अधिवेशन में कांग्रेस अपनी संस्था के पूरे ओवरआइलिंग के मूड में भी दिखाई दी। 125 वें वर्ष पर आयोजित कांग्रेस के अधिवेशन में जिस प्रकार राहुल गांधी को हाईलाइट किया गया तथा युवा फौज को अग्रिम पंक्ति में लाकर खड़ा किया गया। उससे इस बात की संभावना बढ़ गई है, कि बुज़ुर्गो को किनारे कर युवा पीढ़ी को देश चलाने का मौका दिया जायेगा। अगर आगे चलकर ऐसा होता है, तो यह कांग्रेस के लिये पूरे देश में उठ खड़े होने का एक अवसर होगा। वरना आगे आने वाले वर्ष कांग्रेस के लिये दुखदायी होंगे। कांग्रेस के इस अधिवेशन में दिग्विजय सिंह जिस ढंग से मुखर हुए और उन्होंने जो बातें कही- विशेषकर साठ वर्ष से ऊपर के लोगों की राजनीति के बारे में, वह लगता है कांग्रेस नेतृत्व की तरफ से सिखा- पढ़ाकर दिया गया बयान है। जो

प्रदेश की आम जनता सुरक्षित नहीं, सुरक्षित है तो सिर्फ प्रदेश के मंत्री!

रायपुर दिनांक 21 दिसंबर 2010 प्रदेश की आम जनता सुरक्षित नहीं, सुरक्षित है तो सिर्फ प्रदेश के मंत्री! और अब बारी आई एक बुद्विजीवी की! प्रदेश में किस तेजी से कानून और व्यवस्था का भट्ठा बैठा है, इसका उदाहरण है बिलासपुर के युवा पत्रकार सुशील पाठक की हत्या। अपहरण, चेन स्नेचिगं, बलात्कार, चोरी डकैती, हत्या जैसी वारदातों से लबालब छत्तीसगढ में आम आदमी का जीवन कितना सुरक्षित है? यह अब बताने की जरूरत नहीं। सरगुजा में एक के बाद दो बच्चों की हत्या जहां रोंगटे खड़े कर देने वाली थी। वहीं बिलासपुर में युवा पत्रकार की गोली मारकर हत्या ने यह बता दिया है कि प्रदेश में जहां बच्चे, महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं, वहीं कलमकार की जिंदगी भी अब अपराधियों के रहमोकरम पर है। राजधानी रायपुर और न्यायधानी बिलासपुर छत्तीसगढ़ के दो बड़े शहर हैं। इन दो बड़े नगरों में राज्य बनने के बाद से जिस तेजी से अपराध बढ़ा है, उसकी देन हम किसे माने? केन्द्रीय गृह मंत्री पी चिदम्बरम ने जब दिल्ली में बढ़ते अपराधों के बारे में यह टिप्पणी की कि- वहां बाहरी लोगों के कारण अपराध बढ़ रहा है, तो लोग उनपर पिल पड़े। यहां तक कि उन्हें अपने शब्द

बात की तीर से निकलती आग में जल रही देश की राजनीति!

रायपुर दिनांक 20 दिसबर। बात की तीर से निकलती आग में जल रही देश की राजनीति! 'बातो से मारोंÓ-राजनीति का एक नया रूप इन दिनों सबके सामने है। बस थोड़ी सी चिन्गारी चाहिये, बात की मार ऐसी आग लगाती है कि पूरी राजनीति में उबाल आ जाता है। इस समय वाक युद्व के सबसे बड़े हीरों हैं राहुल गांधी और दिग्विजय सिंह। जिनके मुंह से निकले तीर कई लोगों को घायल कर गए हैं। अभी कुछ ही दिन पूर्व देश के वित्त मंत्री प्रणव मुकर्जी ने कहा था कि- राहुल गांधी देश के प्रधानमंत्री हो सकते हैं। उनके इस बयान के तुरन्त बाद आस्ट्रेलिया के जासूसी चैनल ने खुलासा किया कि राहुल गांधी ने अमरीकी राजदूत टिमोथी रोमर के साथ हुई बातचीत में हिन्दू कट्टर पंथ को लश्करें तौयबा के आंतकवाद से ज्यादा खतरनाक बताकर एक नई कान्ट्रोवर्सी खड़ी कर दी। हालंाकि विकीलिक्स का यह खुलासा कोई नई बात नहीं थी। नई बात बस इसलिये थी चूंकि यह बात सोनिया गांधी के पुत्र और कांग्रेस द्वारा भावी प्रधानमंत्री के रूप में प्रचारित राहुल गांधी के मुंह से निकली थी। विकीलिक्स के खुलासे के पूर्व केन्दी्रय गृह मंत्री पी चिदम्बरम ने जब देश में भगवा आतंकवाद का जिक्र

क्यों देते हैं दिग्गी विवादास्पद बयान? दो साल क्यों चुप रहे?

रायपुर दिनांक 13 दिसंबर 2010 क्यों देते हैं दिग्गी विवादास्पद बयान? दो साल क्यों चुप रहे? यह हमारे पूर्व मुख्यमंत्री को क्या हो गया ? दिग्विजय सिंह आजकल कांग्रेस के महासचिव हैं- उन्होंने बयान दिया है कि मुम्बई 26-11 हमले में शहीद एटीएस चीफ की मौत के पीछे हिन्दू संगठनवादियों का हाथ है। दो साल तक इस घटना पर लगातार चुप्पी साधे रहने के बाद अचानक रहस्योद्घाटन कर चर्चा में आने वाले र्दििग्वजय सिंह के मुंह खोलते ही भाजपा नेता राजनाथ सिंह भड़क गये। उन्होंने भी यही सवाल किया कि दिग्विजय सिंह दो साल तक चुप क्यों थे और अचानक उन्हें यह बयान देने की क्या जरूरत पड़ी? राजनाथ सिंह से पूर्ण सहमत होते हुए हम यह कहना चाहते हैं कि दिग्विजय सिंह के कथन की सच्चाई जानने के लिये उनकी और एटीएस चीफ के बीच यदि कोई बातचीत हुई है, तो उसे सार्वजनिक करना चाहिये। ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो जाये। अगर करकरे ने उनसे ऐसी कोई आशंका जाहिर की तो एक बार नहीं कई बार टेलीफोन पर बातचीत हुई होगी। सवाल यहां यह भी उठता है कि एटीएस चीफ को अगर हिन्दू संगठनवादियों से खतरा था। तो यह बात उन्होंने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री को ब

क्या गलत बोल दिया शिवराज ने ? यह तो आज की आवाज है!

रायपुर दिनांक 14 दिसबर। क्या गलत बोल दिया शिवराज ने ? यह तो आज की आवाज है! खरी बात किसी के गले नहीं उतरती। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने जब यह कहा कि राज्य सभा अंगे्रजो की देन है, जो अब खरीद फरोख्त की मंडी बनकर रह गई है। तो लोग उनपर पिल पड़े और शिवराज ंिसंह को अपना बयान वापस लेना पड़ा। राज्य सभा ही नहीं आज ऐसी कितनी ही संस्थाएं ऐसी हंै, जिनकी आवश्यकता नहीं है और फिजूल खर्ची बढ़ा रही है। शिवराज ंिसंह जैसे युवा की सोच जब उनकी आवाज बनकर गूंजती है, तो उन लोगों को बुरा लगता है जो परंपरावादी बनकर ऐसी संस्थाओं को बनाकर रखना चाहते हैं। शिवराज ंिसंह ने इस बात की भी वकालत की है कि देश में प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री का चुनाव राष्ट्रपति पध्दति से कराया जाये। चुनावी खर्च कम करने के लिये यह जरूरी है कि विधानसभा और लोकसभा का चुनाव भी एक साथ कराया जाना चाहिये। बकौल शिवराज सिंह ''राज्य सभा का कोई औचित्य नहीं है। राज्य सभा के चुनाव विधायकों के खरीद-फरोख्त की मंडी होती हैं जिससे लोकतंत्र शर्मसार होता है। राज्य सभा के औचित्य पर सवाल उठाते हुए वे कहते हैं कि राज्य सभा ऐसे लोगों के लिय

शर्म करो ..अब किया तो किया भविष्य में किया तो कोई तुम्हें माफ नहीं करेगा!

शर्म करो ..अब किया तो किया भविष्य में किया तो कोई तुम्हें माफ नहीं करेगा! यह केक था या देश का दिल जिसे गुरुवार को कांग्रेसियों ने चाकू से काटकर टुकड़े-टुकड़े कर दिये? हम बात कर रहे हैं देश की सबसे शक्तिशाली महिला सोनिया गांधी के जन्म दिन पर कांग्रेसियों द्वारा काटे गये केक की। वाराणसी में आंतकी हमले के परिपे्रक्ष्य में सोनिया गांधी ने इस वर्ष अपना जन्म दिन नहीं मनाने का ऐलान किया था लेकिन उनके अति उत्साही कार्यकर्ताओंं ने केक काटा, इसपर किसी को कोई आपत्ति नहीं है लेकिन केक को राष्ट्रध्वज का प्रतीक बनाकर जिस ढंग से गोदा गया यह कितना उचित था? यह कांग्रेसियों का सोनिया के प्रति पे्रम का प्रदर्शन था या राष्ट्र के प्रतीक का अपमान? जब राष्ट्रीय अध्यक्ष ने स्वयं अपना जन्म दिन नहीं मनाने का ऐलान किया था तब इन कांग्रेसियों को कौनसा भूत सवार हो गया कि वे सारी मर्यादाओं को त्याग कर एक ऐसा केक उठा लाये जो बिल्कुल तिरंगे के आकार का था जिस पर चक्र भी बनाया गया था। अगर केक काटना ही था तो एक सामान्य केक काटकर अपनी खुशी का इजहार कर सकते थे, लेकि न सबसे अलग दिखाने की चाह व होड़ में वे यह भी भूल गये कि य

छेडछाड की बलि चढ़ी नेहा-

रायपुर बुधवार दिनांक 8 दिसबंर 2010 छेडछाड की बलि चढ़ी नेहा- क्या अंतिम उपाय 'मौत ही रह गया ? यह अकेले नेहा भाटिया की कहानी नहीं हैं, संपूर्ण छत्तीसगढ़ में स्कूली छात्राओं से छेडख़ानी और उन्हें प्रताडि़त करना एक आम बात हो गई है। छेड़छाड़ से दुखी नेहा ने अपने शरीर को आग के हवाले कर दिया था। मंगलवार को नेहा ने प्राण त्याग दिये। बहुत सी छात्राएं छेड़छाड़ को बर्दाश्त कर इसकी शिकायत इसलिये नहीं करती। चूंकि उन्हें डर लगा रहता है कि परिवार के लोग इसके पीछे पड़ कर बड़ी मुसीबत में पड़ जायेंगे। पुलिस में जाने से छेड़छाड़ पीडि़त महिला तो डरती ही है, उसका परिवार भी ऐसा नहीं करना चाहता। जबकि नेहा जैसी कई ऐसी छात्राएं भी हैं, जो अपमान को गंभीरता से लेकर उसे मन ही मन बड़ा कृत्य करने के लिये बाध्य हो जाती है। क्या स्कूल प्रबंधन इस मामले में बहुत हद तक दोषी नहीं है, जो ऐसी घटनओं की अनदेखी करता है? क्या छेड़छाड़ पीडि़तों के लिये यही एक अंतिम उपाय है कि वह मौत को गले लगा ले? नेहा कांड से पूर्व छत्तीसगढ़ के छोर सरगुजा से एक खबर आई कि एक युवक की लड़की के भाई और साथियों ने जमकर पिटाई कर दी, चूंकि वह बहन

फिजूल खर्ची,अव्यवस्था बन रही लोकतंत्र में अडंग़ा, कौन ले संज्ञान?

रायपुर सोमवार दिनांक 22 नवंबर 2010 फिजूल खर्ची,अव्यवस्था बन रही लोकतंत्र में अडंग़ा, कौन ले संज्ञान? लोकतांत्रिक व्यवस्था में आज ऐसा कुछ होता जा रहा है कि जिसकी जो मर्जी आये वह वैसा करता जाये। क्या आप और हम यह महसूस नहीं करते कि देश में भ्रष्टाचार के साथ नेताओं की फिजूल खर्ची, मनमर्जी भी कुछ ज्यादा होती जा रही है? बिहार चुनाव के दौरान खबर आई कि चालीस दिन के प्रचार में नेताओं ने हेलीकाप्टरों से उड़ान भरते हुए तेरह करोड़ रूपये खर्च कर डाले। यह तो हेलीकाप्टर का खर्चा है, इसके अलावा अन्य जो खर्च हुआ वह अलग। इस खर्च में हर चुनाव लडऩे वाली पार्टी शामिल हुई। चुनाव आयोग द्वारा खर्चों पर लगाम के बाद सिर्फ एक राज्य में चुनाव के दौरान यह खर्चा हुआ। जबकि देशभर में होने वाले चुनावों के दौरान नेताओं की हवाई उड़ान तथा अन्य होने वाले खर्चो का हिसाब लगाये, तो वह अरबों में होता है। जब देश में हर पांच साल में एक साथ चुनाव हुआ करते थे, तब इतना खर्चा नहीं होता था। आज एक के बाद एक राज्यों में होने वाले चुनावों के कारण खर्च हो रहा है। पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी बराबर यह मांग करते रहे हैं कि राज्य

समाज को बांटे रखने में भी मास्टरी हासिल कर ली सरकारों ने!

रायपुर, शुक्रवार दिनांक 20 नवंबर 2010 समाज को बांटे रखने में भी मास्टरी हासिल कर ली सरकारों ने! क्या हमारी व्यवस्था खुद ही समाज को कई भागों में नहीं बांट रही? गरीब,निम्र वर्ग,मध्यम वर्ग, उच्च वर्ग, हरिजन, आदिवासी, अल्प संख्यक यह सब शब्द समाज द्वारा दिये गये नाम तो नहीं हैं। सरकार ने इन सबकी उत्पत्ति कर इसे अलग- अलग वर्गो में बांटा है। वोट बैंक की राजनीति के लिये किये गये इस वर्गीकरण ने आज देश के सामने कई मुसीबतें खड़ी कर दी। आजादी के बाद देश में कुछ ऐसे हालात थे कि लोग काफी संख्या में पिछड़े हुए थे। गरीब थे- इतने गरीब कि उन्हें दो जून की रोटी नहीं मिलती थी, पहनने के लिये कपड़े नहीं और रहने के लिये छत नहीं। बच्चों को वे पढ़ा नहीं सकते थे, स्वास्थ्य की सविधाएं उन्हें मिलती नहीं थी। ऐसे लोगों को सरकारी मदद देकर सरकार ने उन्हें इस लायक बना दिया कि- वे कुछ काम करने के लायक बन गये। इस दौरान उनके बच्चे भी अन्य बच्चों के साथ पढ-लिख गये और उन्होंने नौकरियों में अच्छे- अच्छे पद भी प्राप्त किये। ऐसे लोगों के लिये आरक्षण की व्यवस्था की गई। यह व्यवस्था एक समय सीमा तक होनी चाहिये थी, लेकिन सरकारे आत

'मृगतृष्णा बन गई मंहगाई-हम पागलों की तरह भाग रहे हैं उसके पीछे...

रायपुर दिनांक 20 नवंबर 2019 'मृगतृष्णा बन गई मंहगाई-हम पागलों की तरह भाग रहे हैं उसके पीछे... सरकार के आंकड़े दावे करने लगे हैं कि महंगाई कम होने लगी है। क्या यह आंकड़े हकीकत को बयान कर रहे हैं? जब तक आम आदमी को रोटी, कपड़ा और मकान तीनों सही या उनकी आमदनी की पहुंच के आधार पर उपलब्ध न होने लगे, तब तक कैसे कह सकते हैं कि मंहगाई कम हो रही है? सरकार अभी जनता से मार्च तक और इंतजार करने को कह रही है, ऐसे कितने ही मार्च निकल गये...मंहगाई यूं ही बढ़ती चली गई। ऐसे जैसे कोई मृगतृण्णा हो, जिसके पीछे हम पागलों की तरह भागते ही चले जा रहे हैं। इस सप्ताह बुधवार को कहा गया कि प्याज के मूल्य तेजी से बढ़ रहे हैं। गुरुवार को खबर आई कि गेंहू की कीमत में ग्यारह प्रतिशत से अधिक की बढौत्तरी हुई। इधर सरकारी आंकडों ने गुरुवार को ही दावा किया है कि -ज्यादातर खाद्य वस्तुओं के दाम में नरमी से 6 नवंबर को समाप्त सप्ताह में मुद्रास्फीति की दर दो प्रतिशत घटकर 10.3 प्रतिशत रह गई। इसके साथ ही सकल मुद्रास्फीति के साल के अंत तक छह प्रतिशत के स्तर पर आने की उम्मीद बढ़ गई इससे पूर्व सप्ताह में खाद्य वस्तुओं की मुद्रा

आंतकवाद, जातिवाद की बराबरी में आ खडा हुआ भ्रष्टाचार!

रायपुर शुक्रवार 19 नवंबर आंतकवाद, जातिवाद की बराबरी में आ खडा हुआ भ्रष्टाचार! वह कौन सी जादुई छड़ी है जिससे घूसखोरी का इलाज किया जायें? राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत मानते हैं कि जब तक चुनावी चंदे पर रोक लगाकर पब्लिक फण्ड से चुनाव लडऩे की व्यवस्था लागू नहीं होगी, तब तक भ्रष्टाचार पर लगाम नहीं लग सकती। बकौल गहलोत देश में कैग, सीवीसी, सूचना का अधिकार जैसी कई संस्थाएं और कानून बन गए, लेकिन भ्रष्टाचार बढ़ता जा रहा है, क्योंकि चुनाव के लिए चंदा लेते ही भ्रष्टाचार की शुरूआत हो जाती है। क्या यही एक कारण है? बहुत हद तक इसे ठीक माना जा सकता है चूंकि इस फंड की बजह से ही देश में मंहगाई बढ़ती है और भ्रष्टाचार फैलता है। गहलोत तो यहां तक कहते हैं कि कितनी भी संस्थाएं बना ली जाएं, भ्रष्टाचार पर अंकुश नहीं लग सकता। जब देश के एक मुख्यमंत्री की यह धारणा है तो भ्रष्टाचार में लिप्त इस देश को भगवान ही बचा सकता है। भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने की नाकामी में गहलोत का यह कहना कि ठेकेदार अफसर के साथ मिलीभगत कर रहे हैं। पैसे को इस ढंग से खर्च करना कि जनता को इसका पूरा लाभ मिले यह बहुत मुश्किल है और अब नरेगा

राष्ट्र का पौने दो लाख करोड़ रूपये डकार लिया, फिर भी तना है सीना!

रायपुर दिनांक १७ नवंबर। राष्ट्र का पौने दो लाख करोड़ रूपये डकार लिया, फिर भी तना है सीना! सब कुछ खा -पीकर डकारने के बाद हमारे नेता कहते हैंं कि हमने कुछ नहीं खाया,चाहों तो हमारा पेट काट कर देख डालों। मंत्री पद से हाल ही बेदखल हुए केन्द्रीय संचार मंत्री ए. राजा सीना ठोककर यह कहते हुए घूम रहे है कि उन्होंने कुछ गलत नहंीं किया। कैग की रिपोर्ट कहती है कि २जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाले से देश को १.७६ लाख करो$ड रुपये का नुकसान हुआ। राजा ने नहीं खाया तो इतने पैसे का बाजा कैसे बजा? कौन खा रहा है देश का पैसा? क्यों ऐसे नेताओं को रााष्ट्र का पैसा खाने के बाद खुले आम घूमने की इजाजत दी जा रही? क्यों नहीं ऐसे लोगों के खिलाफ सेना में कोर्ट माश्रल की तरह देश की संपंत्ति हड़पने और देश की जनता को धोखे में रखकर उनका पैैसा खाने का मुकदमा कायम किया जाता? क्या देश की जनता के गले यह बात नहीं उतरती कि छोटी छोटी पार्टियां और उसके नेता सरकार में शािमल होने के लिये क्यों ललचाते हैं और मलाईदार विभाग हड़पने के लिये हाय तौबा करते हैं? मनमोहन ंिसंह सरकार ने भ्रष्टाचार के आरोप में शशि थरूर को तत्काल बर्खास्त कर दिया ले

हावडा-मुम्बई मेल को समय पर चलाने सोर्स स्टेशन नहीं बदलने की जिद क्यों?

रायपुर दिनांक 15 नवबंर हावडा-मुम्बई मेल को समय पर चलाने सोर्स स्टेशन नहीं बदलने की जिद क्यों? रेलवे को इस बात की जिद क्यों हैं कि वह हावड़ा-मुम्बई मेल को हावड़ा से ही चलायेगी? 28 मई 2010 को ज्ञानेश्वरी एक्सप्रेस को नक्सलियों द्वारा विस्फोट कर पटरी से उतारने और उसके जाकर एक मालगाड़ी से टकरा जाने के बाद से अब तक रेलवे यह तय नहीं कर पाई है, कि हावड़ा-मुम्बई मेल के समय को कैसे नियंत्रित किया जाये? हावड़ा-मुम्बई मेल के रायपुर पहुंचने का समय आज भी टाइम टेबिल पर और यहां तक कि रेलवे द्वारा जारी किये जाने वाले टिकिटों पर सुबह 9.05 लिखा हुआ है । लेकिन यह ट्रेन दुर्घटना दिन के बाद से लगातार अब तक रायपुर पहुंचती है- शाम सात, आठ या नौ बजे। पूछताछ कार्यालय से यही सूचना दी जात्री है कि आठ घंटे या दस घंटे लेट चल रही है। दुर्घटना या आंतकवादी घटना को पांच माह बीत चुके हैं और रेलवे अब तक यह तय नहीं कर पा रही है कि इस ट्रेन को समय पर यात्रियों को कैसे उपलब्ध कराया जाए। रेलवे, हावड़ा- मुम्बई मेल के विलंब का कारण 'सुरक्षा बताता है। अगर उसे इतना ही डर है तो इस ट्रेन के समय में स्थायी परिवर्तन क्यों न

खूब चिल्लाओं बाबाजी... भ्रष्टाचारियों पर नहीं पडऩे वाला कोई असर...!

खूब चिल्लाओं बाबाजी... भ्रष्टाचारियों पर नहीं पडऩे वाला कोई असर...! रामदेव बाबाजी,अन्ना हजारे ,स्वामी अग्रिवेश और किरण बेदी जी-आप सभी महानुभाओं से हमारा सिर्फ एक ही सवाल-आपने रविवार को दिल्ली के जंतर मंतर में चिल्ला चिल्लाकर कहा कि- देश में हजारों करोड़ रूपये का भ्रष्टाचार हुआ। क्या इसका कोई हल निकल सकता है? हर कोई यह जानता है कि देश पांच वर्ष के बजट से भी ज्यादा राशि के भ्रष्टाचार में आंकठ डूबा है। जो सत्ता में है, वह भी और जो सत्ता में नहीं, वह भी। आप जैसे चंद ईमानदार लोगों ने भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाकर आम लोगों में अलख जगाई उसके लिये आप बधाई के पात्र है। किंतु क्या इससे कोई फायदा होगा? आपने चिल्लाया, जनता ने सुना, सरकार ने भी सुना, विपक्ष ने भी सुना...और सबने सुना और सुनकर सब भूल गये कि- आपने क्या कहा। यह जो भूलने की प्रवृति है, इसी ने आज देश को भ्रष्ट तंत्र के हवाले कर दिया। हम विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र की दुहाई देते हैं। अमरीका जैसा विश्व शक्तिमान भी हमारी तारीफ करता है किंतु जिस तंत्र में हम सांस ले रहे हैं। उसमें हमें भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने या कहें जैसा आप लोगों ने

खाकी के वेश में यह दूसरे गृह के प्राणी धरती पर क्या कर रहे हैं?

\ रायपुर शनिवार। दिनांक १३ नवंबर २०१० खाकी के वेश में यह दूसरे गृह के प्राणी धरती पर क्या कर रहे हैं? खाकी पहना पुलिस वाला कोई अपराध करें, तो उसके लिये अलग कानून और आम आदमी ने ऐसा कर दिया, तो उसके लिये अलग कानून। क्या दोनों के अपराध करने का तरीका अलग- अलग होता है? बलात्कार जैसे मामले मेंं अपराधी को तुरन्त गिरफ्तार कर हथकडिय़ों में जकडऩे का प्रावधान है। फिर पुलिस ऐसे अपराध पर इस ढंग की कार्रवाई क्यों नहीं करती?- हम बात कर रहे हैं धर्मजयगढ़ थाने की जहां कि पुलिस पर आरोप है कि उसने दो युवतियों की अस्मत को रौंद डाला। पहले इस मामले पर खूब बवाल मचा। बाद में युवतियों ने बलात्कार से इंकार किया और डाक्टरी परीक्षण से भी इंकार कर दिया। पुलिस के आला अफसर रिपोर्ट लिखने की बात छोडिय़े। इस मामले के अपराधी पुलिस वालों को पकड़कर सींखचों के पीछे भेजने तक से कतराते रहे । समाज की सुरक्षा का दायित्व जिन कंधों पर है, वह जिस ढंग का खेल खेल रहा है। वह उसकी संपूर्ण कार्यप्रणाली को ही एक बार पुनरीक्षित करने का दबाव बना रहा है। धर्मजयगढ़ में कथित बलात्कार की घटना के बाद गा्रमीणों के आक्रोश से कुछ तो कार्रवाई हुई

ऑपरेशन क्लीन शुरू करों फिर देखों, लाखों रोजगार पा जायेगें

रायपुर शुक्रवार। दिनांक 12 नवबंर 2010 ऑपरेशन क्लीन शुरू करों फिर देखों, लाखों रोजगार पा जायेगें .....और अब सरगुजा का एक इंजीनियर तीन करोड़ रूपये का आसामी निकला.. सरकार के पास ऐसे और कितने हीरे से जड़े अधिकारी हैं? सिर्फ पैसा कमाना ही ध्येय बन गया है, हमारे जनसेवकों का। हर कोई जानता है कि इस देश में ऐसे भ्रष्ट अफसरों और नेताओं की कोई कमी नहीं है जिनके पास देश के एक बजट से ज्यादा की राशि अपने खजानों में जमा है। नौकरी सरकार की करते है, गुणगान भ्रष्टाचरण में मिले पैसे का होता हैं। सरकार के पैसों को किस तरह से लूट-खसोटकर अपनी तिजोरियों में भरा जा रहा है इसके सैकड़ों उदाहरण सरकार के सामने आने के बाद भी ऐसे लोगों के खिलाफ क्या कार्रवाई होती है?यही न कि उन्हें कुछ समय के लिये मानसिक प्रताडऩा मिलती है। हमने हाल के आयकर छापों के बाद कुछ लोगों से बात की। तो उनकी ऐसी धारणा बन गई है कि भ्रष्टआचरण में लिप्त ऐसे लोगों का कुछ नहीं होने वाला। क्योंकि हमारा कानून ही इतना लचीला है कि भ्रष्टाचारी को स्वतंत्र घूमने की खुली छूट है। विभाग में कुछ दिन चक्कर लगायेंगे। बाद में सब आपसी समझौते से रफा- दफा। कोई

मंशा नहीं ,फिर भी अपराध,ऐसी भी है कानून में कुछ खामियां!

रायपुर दिनांक 11 नवंबर 2010 मंशा नहीं ,फिर भी अपराध,ऐसी भी है कानून में कुछ खामियां! कानून भावना मेंं नहीं बहता, साक्ष्य मिला तो सजा,वरना बरी। ऐसे कितने ही मामले रोज अदालतों में पहुंचते हैं जिसमें अपराध करने वालों की मंशा अपराध करने की नहीं होती, किं तु हो जाता है। ऐसे में भारतीय दंड विधान की कई धाराएं एकसाथ सक्रिय हो जाती हैं, जो ऐसे व्यक्ति के निकलने के सारे रास्ते बंद कर देती हैं। क्या कानून में भावना या इमोशन को स्थान दिया जाना चाहिये? इस सबंन्ध में कानूनविदो व आम लोगों की अलग- अलग राय हो सकती है। लेकिन कुछ अपराध ऐसे होते हैं जो मर्जी से नहीं किये जाते, बस हो जाते हैं। ऐसे अपराधों को क्यों न इमोशन के आधार पर छोटी-छोटी सजा में बदला जायें? अब जयपुर के उस पॉलीटेक्रिक कालेज के डिप्लोमाधारी युवक दीपक की ही बात करें, जिसने लव मैरीज के बाद अदालती कार्रवाही के खर्चे पांच लाख रूपये निकालने के लिये बैंक में एटीएम और लॉकर तोडऩे की योजना बनाई। जिसके लिये वह बैंक के अंदर पूरे साजोसामान के साथ करीब चार दिन रहा और अंत में नाकामी के साथ पकड़ा गया। कानून की नजर में वह चोर है, और सामााजिक दृष्टि से

चिथड़े कपड़ों में लिपटे नन्हें हाथों की बुझे बारूद के ढेर में खुशियों की खोज

रायपुर, बुधवार दिनांक ८ नवंबर चिथड़े कपड़ों में लिपटे नन्हें हाथों की बुझे बारूद के ढेर में खुशियों की खोज यह करीब पांच- साढ़े पांच बजे का वक्त होता है,जब लोग दीवाली का जश्र मनाकर गहरी नींद में सो रहे होते हैं- फटे- पुराने कपड़े पहने बच्चों का एक हुजूम लोगों के दरवाजों के सामने होता है। दीवाली के बाद आसपास बिखरे पड़े कचरे के ढेर से यह अपनी खुशी ढूंढते हैं। इन बच्चों की दीवाली लोगों के न टूटने वाले पटाखों की बारूद से मनती है। यह दौर दो- तीन दिन तक चलता है। तब तक इनके पास काफी ऐसे पटाखें इकट्ठे हो जाते हैं। करोड़ों रूपये के पटाखें लोगों ने एक- दो दिन में फूंक डाले, किंतु इसी समाज का एक वर्ग ऐसा भी है। जो सिर्फ हमारी खुशियों को ललचाते हुए निहारता रहता है। यह इस एक साल की बात नहीं है, हर साल ऐसा ही होता है। पो फटने से पहले ही गरीब बच्चे इसी आस में कि कहीं कचरे के ढेर में कोई जिंदा फटाका मिल जायें। फूटे हुए कचरे को उलट- पुलट करते हैं, ताकि वे अपनी दीवाली मना सकें। साठ - बासठ साल की आजादी के इस दौर में हमने कई ऐसे दौर देखे जब देश संकट की घडिय़ों से गुजरा, देश को विदेश से अनाज आयात करना पड़त

बीते रे दिन!

रायपुर ,गुरुवार, दिनांक ५ नवंबर बीते रे दिन! खुशी,उमंग और उल्लास से भरा दीपोत्सव का त्यौहार हर भारतवासी के जीवन में और खुशियां बिखेरे यही आशा हम दीपोत्सव पर कर सकते हैं। भगवान राम के चौदह साल वनवास के बाद अयोध्या वापसी पर हर साल हम दीप जलाकर आतिशबाजी कर उनके स्वागत व देश की खुशहाली और उन्नति के लिये यह त्यौहार मनाते हैं। आज से एक नया साल शुरू होता है लेकिन पिछला हमारा कोई ज्यादा अच्छा भी नहीं रहा। भगवान राम की जन्म भूमि का विवाद देश की एक छोटी कोर्ट से जरूर निपटा लेकिन आगे यह अब भी विवादास्पद बना हुआ है या बना दिया गया है। मगर एक आशा जगी है कि हर समुदाय और संप्रदाय की भावनाओं को ठेस पहुंचे बगैर इस मामले को देश की सर्वोच्च अदालत इसे भी सदा- सदा के लिये निपटा देगी। सन् 1947 में आजाद हुआ हमारा देश अब बुजर्गियत के कगार पर पहुंच गया है। त्रैसठ वर्षो का लम्बा सफर तय कर लिया गया है। गरीबी,अज्ञानता,मंहगाई, भ्रष्टाचार, आंतक जैसी बुराइयों से हम आज भी निजात नहीं पा सके हैं। देश में नासूर बन चुके नक्सलवाद पर न केन्द्र की कोई नीति हैं और न राज्यों की। समस्या जैसे की तैसे से और बदतर होती जा रही है।

भ्रष्ट आचरण पर कांगे्रस की महासभा में रहस्ययम चुप्पी!

रायपुर दिनांक 3नवम्बर भ्रष्ट आचरण पर कांगे्रस की महासभा में रहस्ययम चुप्पी! लगता है अब राजनीतिक पार्टियों के पास आम जनता को लुभाने का कोई नुस्खा रह ही नहीं गया। मंगलवार को दिल्ली में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सम्मेलन में मुख्य मुद्दा था आरएसएस का आंतकवाद। राहुल गांधी से श्ुाुरू हुआ यह मुद्दा अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के बड़े- बड़े नेताओं, यहां तक कि सोनिया गांधी की जुबान से भी निकला लेकिन सर्वाधिक आश्चर्यजनक बात यह कि किसी नेता ने देश के ज्वलंत मुद्दे भ्रष्टाचार पर कोई चर्चा नहीं की। महाराष्ट्र में आदर्श आवास सोसायटी का मामला जिसमें प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण आकंठ डूबे हुए हैं, पर्र अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी चुप हैं। हाल ही संपन्न राष्ट्र मंडल खेलों में हुए घोटाले के मामले में भी कांग्रेस की बोलती बंद है। कांग्रेस इस मामले में भी अब कुछ कहने की स्थिति में नहीं है कि- देश में मंहगाई के चलते आम जनता को क्या राहत दी जा रही है? विशेषकर मध्यमवर्गीय लोग जिन्हें किसी प्रकार का कोई लाभ सरकार की तरफ से नहीं दिया जा रहा है। कांग्रेस के युवा नेता राहुल गांधी ने देश को दो हिन्दुस

मौत की सामग्री से दहली राजधानी? कौन रच रहा है षडय़ंत्र!

रायपुर दिनांक 1 नवंबर 2010 मौत की सामग्री से दहली राजधानी? कौन रच रहा है षडय़ंत्र! राज्य गठन की वर्षगांठ से ठीक एक दिन पूर्व रविवार को रायपुर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा विस्फोट की अवाज से गूंज उठा। करीब डेढ किलोमीटर का पूरा क्षेत्र दहशत में आ गया। रिहायशी इलाके की बिल्डिंगे हिल गईं। आसपास खड़ी कारों के कांच टूट गये तथा घरों के शीशे सर्वत्र बिखर गये। विस्फोट कचरे के ढेर में पड़े डिब्बों में हुआ जिसमें डेटोनेटर वाले बम थे, जो तारों के गुच्छे व अन्य रासायनिक तत्वों से बने थे। पुलिस के आला अफसरों ने घटना का मुआयना करने के बाद इस संबंध में जो बयान दिया वह कुछ इस प्रकार था-''दीवाली का समय है, किसी ने कचरे में फे के गए विस्फोट में आग लगा दी यह बयान रायपुर में सुरक्षा व्यवस्था की पोल खोलने के लिये काफी है। वह भी उस समय जब रायपुर में राज्योत्सव चल रहा है, दीवाली की तैयारी चल रही है, और कई महत्वपूर्ण हस्तियां आना जाना कर रही हैं। ऐसे समय शहर को दहला देने वाले विस्फोट पर गैर जिम्मेदाराना बयान ने यह बता दिया है कि पुलिस किसी मामले को गंभीरता से लेना ही नहीं चाहती। इस घटना के बाद शहर को एलर्ट क

क्यों दी हमने इतनी आजादी?

रायपुर दिनांक २7-अक्टूबर 2010 क्यों दी हमने इतनी आजादी? प्रख्यात लेखिका और सामाजिक कार्यकर्ता अरुन्धति राय का अब बयान है कि जम्मू कश्मीर भारत का अंग नही हैं। अरुन्धति के इस बयान पर हम केन्द्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री तथा कश्मीर के वरिष्ठ नेता फारूख अब्दुल्ला की उस टिप्पणी का कि क्यों दी हमने अभिव्यक्ति की आजादी का स्वागत करते हुए उन्हीं की बात को आगे बढ़ाते हुए यह कह सकते हैं कि- भारत में लोगों को कुछ ज्यादा ही आजादी मिली हुई है। आपस में तो एक दूसरे को कुछ भी बोल देते हैं। अब देश के खिलाफ भी बोलने लगे हैं। हाल ही बिहार के सांसद ने बयान दिया कि राहुल गांधी को गंगा में फेंक देना चाहिये। चलिये हम मानते हैं कि ऐसी बातें हमारे नेता कहते ही रहते हैं। मगर प्रख्यात लेखिका और समाजसेवी जब यह कहे कि- हमारा दायां या बायां हाथ हमारा नहीं, किसी और का है, तो उसे कैसे मान लें। यही न कि उनकी बुद्वि भ्रष्ट हो चुकी है। वे शायद इस मिट्टी में जन्म लेकर यह इसलिये कह रही है कि उन्हें बोलने की बहुत ज्यादा आजादी दे डाली है। कोई दूसरा देश होता तो शायद मैडम आगे कोई वक्तव्य देने लायक नहीं रह जातीं। विश्

दबा-दबा उत्सव, मीरा कुमार से उद्घाटन क्यों नहीं कराया गया?

रायपुर बुधवार। दिनांक 27 अक्टूबर 2010 दबा-दबा उत्सव, मीरा कुमार से उद्घाटन क्यों नहीं कराया गया? राज्योत्सव की तैयारियों में कम से कम एक महीने का समय लगा। इस दौरान रायपुर शहर की सड़कों का डामरीकरण तो नहीं हुआ, हां यह कहा जा सकता है कि पेचिंग हुई। कुछ सड़कों के डामरीकरण का कार्य शुरू किया गया था। जिसे एक रोज दोपहर हुई तो बारिश ने चौपट कर दिया। उसके बाद डामरीकरण की पोल खुल गई और निगम आयुक्त ने डामरीकरण पर रोक लगा दी। महापौर कहती हं कि राज्य शासन ने उन्हें सड़क बनाने पैसा ऐन समय पर दिया। वरना वे सड़कों को चकाचक कर देती! रायपुर में जंग लगे स्ट्रीट लाइट के खम्बों का रंग रोगन हुआ। वह भी एक कोट से, तो डिवाइडरों पर लगे सूखे फूल पौधों को हटाकर कहीं -कहीं दूसरे पौधे लगाये गये। राज्योत्सव हर साल मनाया जाता है, इसका रूप अब बदलता जा रहा है। फायदा किसे हो रहा है? यह तो किसी को नहीं मालूम, लेकिन यह जरूर कहा जा सकता है कि राजधानी रायपुर दीपोत्सव से पहले रंगारंग दिखने लगी। बालीवुड अभिनेता सलमान खान को कमर मटकाने के लिये कितना पैसा दिया गया? यह तो हमें नहीं मालूम, लेकिन मुश्किल से दस मिनट के कार्यक

नेताओं के मसखरे बयानो के सफर मेंजुड़े अब राष्ट्र विरोधी कलमकार !

रायपुर गुरूवार 28 अक्टूबर 2010 नेताओं के मसखरे बयानो के सफर में जुड़े अब राष्ट्र विरोधी कलमकार ! सुनिये हमारे राजनेता क्या कहते हैं- बाल ठाकरे नकलची बिल्ली हैं- राज ठाकरे राहुल गांधी को गंगा में फेंक देना चाहिये- शरद यादव राज की मनसे चूहों की पार्टी है- बाल ठाकरे आरएसएस और सिमी में कोई फर्क नहीं।-राहुल गांधी और इन सबसे हटकर अपनी लोकप्रियता को चार चांद लगाने के लिये समाज सेविका और प्रख्यात लेखिका क्या कहती हैं सुनिये-कश्मीर शुरू से भारत का अंग नहीं है, इतिहास इसका गवाह है। भारत सरकार ने इसे स्वीकार किया है-अरुंधति राय जो चाहे बोलो-जो चाहे करो और जितना चाहे पैसा अपनी पेटियों में भरते जाओ और जगह नहीं तो गुसलखाने और कुत्ते को बांधने के कमरों में भी भरते जाओ। लोगों को मिली इस आजादी को हम क्या कहें? मनमानी, एक अच्छे लोकतंत्र की निशानी या लोगों के मुंह में लगाम नहीं अथवा अनाप शनाप छूट? शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे ने अपने पूरे परिवार को राजनीति में उतार दिया। राज ठाकरे, उद्वव ठाकरे, बहू स्मिता ठाकरे और अब भतीजे आदित्य ठाकरे। महाराष्ट्र तथा कुछ अन्य प्रदेशों में सीमित चल रही उनकी राजनीति को कभी

नये पत्रकार पढ़ेंगे आउटर में, इंजीनियर भी होगें शहरबदर!

रायपुर मंगलवार 26 अक्टूबर 2010 नये पत्रकार पढ़ेंगे आउटर में, इंजीनियर भी होगें शहरबदर! कई दिनों से कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय को अमलेशर में शिफ्ट किया गया और सोमवार से वहां पढ़ाई भी शुरू हो गई। करोड़ों रूपये खर्च कर तैयार किये गये इस कैम्पस में मात्र सौ छात्र -छात्राएं हैं। जिन्हें अनेक बाधाओं को पार कर इस विश्वविद्यालय तक पहुंचना पड़ता है। इन बाधाओं में शराबी,जुआरी और अन्य समाजविरोधी तत्व भी हैं। अब तक यह विश्वविद्यालय कोटा में चल रहा था। यहां से हटाकर इसे अमलेशर ले जाने का सपना किसने देखा? यह तो पता नहीं, किंतु जिसने भी इस बुद्वि का इस्तेमाल किया। उसकी सोच की दाद दी जानी चाहिये कि वह छात्रों को मुश्किलों से जूझना सिखाकर ही पत्रकारिता की डिग्री लेेने के लिये मजबूर करेगा। वैसे यह एक पत्रकारिता विश्वविद्यालय का अकेला मामला नहीं है। शहर में यत्र तत्र फैले कॉलेजों का भी यही हाल है। जहां तक पहुंचने के लिये छात्रों को कई किस्म के पापड़ बेलने पड़ते हैं। रायपुर का मेडिकल कालेज पहले आज जहां आयुर्वेदिक कालेज है उसके बगल में अभी जहां डेंटल कालेज हैं, वहां लगा करता था। तत्कालीन मध्यप

सेना ने उत्साह तो भरा युवाओं में !

रायपुर दिनांक 25 अक्टूबर 2010 वो जज्बा अनुशासन पहले था अभी नहीं, लेकिन सेना ने उत्साह तो भरा युवाओं में ! आजादी के बाद के वर्षो में चीन, पाकिस्तान और बांग्लादेश तीनों पड़ोसी राष्ट्रों से हमारा किसी न किसी मुद्दे को लेकर युद्व हुआ है। उस दौरान जो युवा थे। आज बुजॢगयत की ओर बढ़ रहे हैं। उस समय और अब में काफी परिवर्तन देखा जा रहा हैं। युवाओं में अनुशासनहीनता, समय का पाबंद न होना और अन्य अनेक किस्म की कमजोरियां घर कर गई है। देर से सोकर उठना और अपनी दिनचर्या को शुरू करने में अच्छा खासा आलस- यह सब देखने मिलता है। यहां तक कि जब तक साहबजादे के बिस्तर पर चाय न पहुंच पाये उठते ही नहीं। लड़कियां भी इस मामले में पीछे नहीं है। आपने कभी सोचा है- इन सबके पीछे कारण क्या है? हम जहां तक इसका आंकलन करते हैं- वह यह कि युवाओं को व्यवस्थित नहीं किया जा रहा। उन्हें किसी भी रूप में अनुशासन का पाठ नहीं डढ़़ाया जा रहा। युद्व के दौरान स्कूल और कॉलेजों में एनसीसी को कम्पलसरी कर दिया गया। इससे एक बात अच्छी हुई कि उस समय के युवा न केवल मेनर्स सीख गये, बल्कि उनमें अनुशासन और जीवन जीने की कला भी आ गई। समय पर उठना, सम

कालिख पर सफेदी का प्रयास-बिल्ली दूध पी गई,सब देखते ही रह गये!

रायपुर दिनांक 23अक्टूबर 2010 कालिख पर सफेदी का प्रयास-बिल्ली दूध पी गई,सब देखते ही रह गये! कांग्रेस अब सामी के मुंह के कालिख को सफेद करने में लगी है। इसके लिये स्थानीय नेता कभी कुछ तो कभी कुछ बयान देने में लगे हैं। इसमें दो मत नहीं कि इस पूरे कांड में किसी बड़ी हस्ती का हाथ है। वह कौन है? इसका खुलासा करने की जगह कांग्रेस के सम्माननीय नेता मामले को और उलझाने में लगे हैं। यह लगभग सभी बड़े कांग्रेसियों को मालूम है कि किसने इस शर्मनाक घटना को जन्म दिया, लेकिन गुटबाजी में लिप्त प्राय: सभी नेता इस मामले में एक हो गये हैं। उनके मुंह से या तो नाम निकल नहीं रहा या वे खामोश आगे के एपीसोड़ का इंतजार कर रहे हैं। इस पूरे कांड में लिप्त आरोपियों ने जो खुलासा किया उसमें छोटे शिकारी ही प्रकाश में आये हैं। असल जो हैं वह या तो इस पूरे कांड की निंदा करने में लगे हैं या जांच की मांग करते हुए भीड़ में शामिल हो गये तथा तमाशे को और रोचक बनाने में लगे हैं। रायपुर में कांग्रेस का पुराना इतिहास देखा जाये तो यहां बहुत से कांड कांग्रेस भवन या बाहर हुए हैं। जो कांग्रेस के असली चेहरे को उजागर करती रही है। बिल्

बाबाजी योग कीजिये..क्यों

रायपुर दिनांक 22 अक्टूबर 2010 बाबाजी योग कीजिये..क्यों बर के छत्ते पर हाथ डाल अपनी छबि खराब कर रहे हैं? योग गुरू बाबा रामदेव ने सरकार को धमकी दी है कि अगर सरकार देश में व्याप्त भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिये जरूरी कदम उठाने में नाकाम रही, तो उन्हें अपनी राजनीतिक पार्टी बनानी होगी। हमारा तो कहना है कि उन्हें तुरंत अपनी राजनीतिक पार्टी का गठन कर देना चाहिये। चूंकि न सरकार पर उनकी धमकी का कोई असर होने वाला और न ही देश से भ्रष्टाचार का अंत होगा। बल्कि बाबा रामदेव भ्रष्टाचार के समर्थन में कोई पार्टी बना लें तो वे शीघ्र सत्ता में आकर प्रधानमंत्री तक की कुर्सी पर बैठ सकते हैं। बाबा रामदेव की भावना का तहे दिल से स्वागत करते हुए उन्हें यह सलाह देना चाहते हैं कि वे देश से और कुछ गंदगी को निकालने के लिये राजनीतिक पार्टी बना सकते हैं। लेकिन भ्रष्टाचार...इसके खिलाफ पार्टी बनाने की कैसे सोच रहे हैं। बाबा रामदेवजी आपको कौन समर्थन देगा? देश का तंत्र जिस तरह से भ्रष्ट हो गया है, उसके आगे आप तो क्या भगवान भी जमीन पर उतर आये, तो उन्हें भी लोग रिश्वत देकर यह कहते हुए ऊपर वापस भेज देंगे कि- अभी तो मौका

बस कुछ भी हो आव देखा न ताव कह दिया यह शत्रु की करामात!

रायपुर गुरुवार। दिनांक 21 अक्टूबर 2010 बस कुछ भी हो आव देखा न ताव कह दिया यह शत्रु की करामात! कोई घटना हुई नहीं कि उसपर स्टेटमेंट जारी करने में लोग देरी नहीं करते। चाहे वह सही हो या नहीं अथवा उसकी हकीकत सामने आई हो या नहीं बस निशाना सीधे अपने विरोधी पर होता है। मंगलवार को कांग्रेस भवन में कांगे्स संगठन प्रभारी और केन्द्रीय मंत्री वी नारायण सामी पर कालिख फेंकने की घटना ने दिल्ली को भी हिला दिया। मामला कांग्रेस संगठन के एक वरिष्ठ नेता व केन्द्रीय मंत्री का होने के कारण इसकी महत्ता और भी बढ़ गई। कांग्रेस के प्राय: सभी नेताओं ने संतुलित होकर बयान जारी किया। घटना की निंदा की गई तथा दोषियों को कड़ी सजा की मांग की गई, मगर कांग्रेस के ही एक वरिष्ठ पदाधिकारी व सासंद का जो बयान आया, उसने यह बता दिया कि राजनीति को किस किस तरह से रंगने का प्रयास किया जाता है। उक्त सासंद ने इस पूरे कांड के लिये भाजपा को जिम्मेदार ठहरा दिया। यहां तक कह दिया कि इससे भाजपा की पोल खुल गई। लगे हाथ सरकार पर आरोप भी लगा दिया कि उसने नारायण सामी की सुरक्षा का कोई इंतजाम नहीं किया। अखबारों में छपी तस्वीरे साफ गवाह है कि पु

गुटों के जाल में नेताओं के मुंह पर कालिख का खेल!

रायपुर बुधवार। दिनांक 20 अक्टूबर 2010 गुटों के जाल में नेताओं के मुंह पर कालिख का खेल! जब- जब कांग्रेस में गुटबाजी चरम पर आती है, कांग्रेस में ऐसी घटनाएं होती हैं जो मंगलवार को कांग्रेस भवन में हुई। कुछ लड़कों ने प्रदेश कांग्रेस संगठन प्रभारी और केन्द्रीय मंत्री वी नारायण सामी के चेहरे पर कालिख पोत दी। जबकि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव के लिये नियुक्त मुख्य निर्वाचन अधिकारी श्रीमती विप्लव ठाकुर को भी नहीं बख्शा गया। कांग्रेस का फलेश बैक करेें तो पूर्व के वर्षो में जब अर्जुन सिंह प्रदेश कांग्रेस के नेता के रूप में रायपुर पहुंचे। तो उनके साथ जयस्तंभ चौक में गिरनार रेस्टोरेंट के सामने कुछ कांग्रेसियों ने झूमा झटकी- धक्का मुक्की की। ये कांग्रेसी उस समय के एक बड़े नेता के समर्थक थे। छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद जैसे ही लोगों को पता चला कि अजीत जोगी को मुख्यमंत्री बनाना लगभग तय कर लिया गया है। तो विद्याचरण शुक्ल के फार्म हाउस में तत्कालीन मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के साथ जो कुछ हुआ, उसे बहुत से लोग जानते हैं। दिग्विजय सिंह यहां से जानबचाकर भागे थे। राज्य बनने के बाद विद्याचरण

उम्र कैदी का मार्मिक पत्र..

रायपुर दिनांक १८ अक्टूबर २०१० उम्र कैदी का मार्मिक पत्र..क्या कभी हमारी व्यवस्था की आंख खुलेगी? अभी कुछ ही दिन पहले मुझे एक पत्र मिला, यह यूं ही टेबिल पर पड़ा था। कल फुर्सत के क्षणों में जब मंैने इसे खोलकर देखा तो यह जेल में बंद एक उम्र कैदी का था जिसने चुनाव आयोग द्वारा राजनीतिक दलों की उस बैठक पर मेरे आलेख पर उसने अपनी टिप्पणी दी थी। आलेख में मंैने लिखा था कि- वे ही लोग अब राजनीति में बढते अपराधीकरण पर चिंता व्यक्त कर रहे हैं, जिन्होंने किसी समय इसे बढ़ावा दिया। उमर कैद की सजा भुगत रहे कैदी ने पत्र में जेलों में बंद ऐसे कैदियों का जिक्र किया है, जो अपने को निर्दोष साबित नहीं कर सके और झूठे साक्ष्यों के आधार पर सजा भुगत रहे हैं। 'वो कहते हैं न- गेंहू के साथ घुन भी पिस जाता है।Ó ऐसा ही हमारे देश मेें हो रहा है, जहां की जेलों में ऐसे कई निर्दोष व्यक्ति सड़ रहे हैं जिन्होंने कभी कोई अपराध किया ही नहीं, किंतु किसी के बिछाये हुए जाल का शिकार हो गये। ऐसे लोग या तो किसी राजनेता, पहुंच अथवा प्रभावशाली व्यक्तियों की टेढ़ी दृष्टि के शिकार बन गये। ऐसे लोगों के लिये अदालतों में साक्ष्य पेश कर